आजकल हर कोई शहरों की तरफ आने को बेताब है, यहाँ की रौनक और सुविधाएं देखकर लोग पहाड़ों को छोड़कर शहरों की तरफ आर्कषित हो रहे है। शहरों की जिंदगी पहाड़ों की जिंदगी से पूरी तरह अलग है। शहरों पर सुबह लोग आराम से उठते है, चाय से सुबह की शुरुवात करके फिर अपने अपने काम पर चले जाते है। बहुत सी आधुनिक चीजों के साथ से शहरों पर रेह रहे लोगों की जिंदगी बेहद आसान और आधुनिक हो चुकी है।
मगर पहाड़ों पर जिंदगी इससे बिलकुल अलग है, वहाँ ना ही अभी तक आधुनिक सुविधाएं पहुची है ओर ना ही मूल भूत सुविधाएं। जिसके चलते अब पहाड़ों को पलयन जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है।शहरों के मुकाबले पहाड़ों पर जिंदगी बहुत दुर्लभ और मुश्किल भरी है, यहाँ लोगों को पानी के लिए मीलों तक पैदल जाना पड़ता है, पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं होते और बिजली, सड़क जैसी सुविधाएं न होने के कारण लोग पलायन को मजबूर है। हर परिवार को एक अच्छी जिंदगी बिताने के लिए शिक्षा,पानी,बिजली,सड़क और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएँ चाहिए, इन पाँच रत्नों के बिना जिंदगी हमेसा संगर्ष करती दिखती है। हमारी सरकार हजारों दावे करती है, गाऊं की तस्वीर बदलने की बात कहती है लेकिन हालात पहले जैसे ही है, सरकार के अलावा कुछ नहीं बदला। अभी भी हजारों गाऊं ऐसे है जहाँ पीने का पानी तक नहीं मिल पता, तो शिक्षा-बिजली तो कोसो दूर की बात है। इन सब बातों से साफ़ पता चलता है की पहाड़ों पर जिंदगी जीना किसी चुनोती से कम नहीं है। यहाँ के लोगों के जहन में सिर्फ एक ही सवाल हमेसा से रहता आया है कि क्या कभी हमारे पहाड़ों पर कोई सुविधाएं पहुँच पाएगी या नहीं?
bahut badiya.. achaa likha hai bhaiya..
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