Monday, 8 August 2016

सारा जमाना विज्ञापन का दीवाना...

आज का दौर विज्ञापन का दौर है। सुबह जब हमारी आँखें खुलती है तब से रात को सोने तक हमे अपने आस पास सबसे ज्यादा विज्ञापन ही दीखते है। विज्ञापन के बिना मानो आज के समय में कुछ भी संभव नहीं दिखता। एक जमाना था जब विज्ञापन बड़े बड़े लोगों या बड़े बड़े ब्रेण्ड द्वारा ही बनाये जाते थे, लेकिन आज हर छोटी बड़ी चीज में विज्ञापन बेहद ख़ास हो चुका है। विज्ञापन को अब सफलता की कुँजी कहना गलत नहीं होगा। 
          आज के इस भागदोड़ भरी जिंदगी में हर कोई पैसा, इज्जत और नाम के पीछे भाग रह है। अगर कोई कंपनी अपनी नई वास्तु लेकर आ रही है तो वो कंपनी उसके विज्ञापन के लिए अलग से लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करने में संकोच नहीं करती क्योंकि उन्हें भी पता है की विज्ञापन आज के दौर में क्या भूमिका निभाता है और इससे उनके नए प्रोडक्ट या वास्तु को जान मिलती है। आज हम विज्ञापन को अपने हर तरफ देख सकते है। रोड के किनारे खड़े बिजली के पोल पे, या बड़ी बड़ी दीवारों में या गाड़ियों के पीछे। खासकर अख़बारों,रेडियो और टेलीविज़न में विज्ञापन का ही बोल बाला है। विज्ञापन के कारण ही आम लोग दिन दुनिया की चेजों को देख पाते है, विज्ञापन की वजय से ही हमे नए नए चीजों और सामानों का पता चल पता है। जब भी हम टेलीविज़न देखते है तो उसमे कार्यक्रम से ज्यादा हमे विज्ञापन देखने को मिलते है। हर 1 मिनट बाद कोई न कोई विज्ञापन हमसे रूबरू होता है।
              बदलते समय के साथ साथ विज्ञापन का स्वरुप भी बदला है। किसी ज़माने में विज्ञापन चुनिंदा जगहों पे ही देखे जाते थे, और तब इनके तरीके भी आज से बहुत अलग हुआ करते थे। विज्ञापन का महत्त्व काफी सालों पहले से चलता आ रहा है। बात करे महाभारत या रामायण काल की तो तब भी विज्ञापन चला करते थे। लेकिन उस ज़माने में न तो टीवी हुआ करते थे ना ही अखबार। अब विज्ञापन के लिए ढोल, पत्र का सहारा लिया जाता था। वो एक आसान माध्यम था अपनी बात को लोगों को बताने के लिए। आज आधुनिक उपकरण और बदलते दौर के साथ विज्ञापन का नज़रिया भी बदल चुका है। कोई राजनेता हो या कोई अभिनेता, कोई चाय की दूकान हो या बड़ी मोबाइल कंपनी हर किसीके लिए आज विज्ञापन बेहद जरुरी हो चुका है।
      लेकिन विज्ञापन सिर्फ निजी फायदे के लिए ही नहीं होते। अगर बात करे सरकारी विज्ञापनों की तो वो जनहित के लिए होते है,जैसे पल्स पोलियो.. दो बूंद जिंदगी की। लेकिन कुछ प्राइवेट विज्ञापन सिर्फ अपने काम के लिए होते है जैसे ब्यूटी क्रीम.. पाये गोरी त्वचा सिर्फ 2 हफ़्तों में। इस तरह के विज्ञापन में सच्चाई नहीं होती लेकिन हम फिर भी इसे खरीदते है क्योंकि इसका विज्ञापन हमारे आखों के सामने होता है। यही तो फायदा है विज्ञापन का कि ये किसी भी इंसान को मजबूर कर देती है दिखाई हुयी बात को मानने पर। हम आज टीवी पे हजारों विज्ञापन देखते है हमे अब इनकी आदत सी हो चुकी है । विज्ञापन का हमारे जीवन पे बहुत असर पड़ता है इसकी वजय से हम बहूत कुछ नया देखते है तो चीजों को अपनी जिंदगी में अपनाते भी है। आज का ये दौर बिना विज्ञापन के संभव नहीं है।

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