![]() |
हमारे देश भारत में जितनी भाषाएँ है उससे ज्यादा यहाँ समस्याएं है। यहाँ करोड़ों की आबादी रहती है, जिसमे अमीर सामान्य और गरीब ये तीन तरह के लोग रहते है। पैसे वाले तो ख़ुशी ख़ुशी अपना जीवन व्यतीत करते है लेकिन सामान्य और गरीबी में जी रहे लोगों का जीवन बहुत संगर्ष भरा हो जाता है। आज की तारीख में आम जनता के लिए जो सबसे ज्यादा सरदर्द बना है वो है लगातार बढ़ती मेहंगाई । मेहंगाई तो मानो दिन दुगनी रात चौगुनी की गति से बड़ रही है और ये जनता भ्रस्ट सरकार से उम्मीद लगाई बेठी है की उनकी सरकार मेहंगाई कम करेगी। भारत में करोड़ों लोग इस मेहंगाई के कारण बेहद परेशान रहते है,इस मेहंगाई में 2 वक़्त की रोटी भी मानो चुनोती लगने लगी है। आज मेहंगाई आसमान छू रही है। रोटी, दाल, सब्जी,पेट्रोल, घर और यहाँ तक की पढ़ाई भी अब हर किसीके बसके बात नहीं रही। पिछले 10 सालों में दाल, सब्जी और तेल की कीमतों ने सबको रुलाया है और आज तक रुला रही है। हम सरकार बरोसे बेठे है और वो भगवान बरोसे। जब नयी सरकार आती है तो वादे तो ऐसे करती है की मानो मेहंगाई बस इनके आने से ही भाग जायेगी, लेकिन कुछ सालों में मेहंगाई भागे या ना भागे सरकार जरूर भाग जाती है। आज बढ़ती मेहंगाई से गरीब लोगों को खाना तक नसीब नहीं हो पता, शिक्षा को तो भूल ही जाओ तो बेहतर है। आज बाजार में एक रोटी की कीमत 8 रुपए हो गयी है, बच्चों को स्कूल कैसे भेजे वहां तो हर क्लास में हजारों रुपए लग जाते है। मेहंगाई की असल वजय है भ्रस्टाचार और हमारी सरकार। रोजाना टीवी और अख़बारों में हम देखते है की सरकारी गोदान में लाखों क्विंटल गेंहू, चीनी,प्याज,आलू रखे रखे ख़राब हो जाते है तो कभी बरसात या ठण्ड की वजय से सड़ जाते है। सरकार इन चेजों पे बिलकुल ध्यान नहीं देती वरना लाखों का अन्न यूं ही बर्बाद नहीं होता। ये तो रही सरकार की अनदेखी अब बात करे अगर कुछ अधिकारीयों की तो मेहंगाई को आसमान तक पहुचाने में इनका बेहद खास योगदान रहा है। अधिकारीयों की अनदेखी और सुस्ती की वजय से ही घोटाले होते रहे है जिनका असर आम लोगों पे पड़ता है।
आज मेहंगाई से सबसे ज्यादा प्रभावित निचले क्रम के लोग हो रहे है,क्योंकि अमीर और अमीर होता जा रहा है और गरीब ओर ज्यादा गरीब । इस बात का असर सरकार या ऊपर बेठे अधिकारीयों को बिलकुल नहीं होता क्योंकि उनकी जेबों में इतना ज्यादा पैसा होता है की मेहंगाई नाम की बीमारी उनके पास भी नी भटकती। सरकार का काम ही होता है जनता के लिए सोचना, उनकी तकलीफों को दूर करना। अरे!हम कौन सा सारी चीजों को जनता के लिए फ्री करने के लिए बोल रहे है, बस इतनी की आस है सरकार से की इस बढ़ती मेहंगाई को रोके क्योंकि जिस गति से मेहंगाई बड़ रही है उससे आने वाले सालों में आम जनता को दो वक़्त की रोटी के लिए भी बहुत मसक्कत करनी पड़ेगी।
No comments:
Post a Comment