Tuesday, 23 August 2016

चिकत्सकों का इंतजार कर रहे पहाड़..

कहने को तो सरकार सारे वादे करती है, घोसनाएं करती है, जनता को सपने तक दिखती है, लेकिन जब जमीनी हकीक़त पे काम करने की बारी आती है तो सरकार सी सुस्ती पड़ जाती है। बात करे पहाड़ों की, तो पहाड़ों पे मूलभूत सुविधाएं पहुँचने की गारन्टी तो सरकार देती है लेकिम सच्चाई ये है की अभी तक हमारे पहाड़ सुविधाओं का बस इंतजार कर रही है। 
        हमारे पहाड़ ही हमारी पहचान है, बिना पहाड़ कैसा उत्तराखंड? मगर सरकारी वादों का इंतजार कर रहे पहाड़ अब थक चुके है। ना ही सरकारी मदद यहाँ पहुँच पाती है ना की कोई आधुनिक काम। बात करे चिकित्सकों की तो हमारे पहाड़ों पर आज भी इनकी बेहद कमी है। पहाड़ों पर रेह रहे हजारो-लाखों लोगों के लिए ये बेहद गंभीर विषय बनता जा रहा है क्योंकि जरूरत के समय न ही अच्छा अस्पताल यहाँ मिलता है ना ही डॉक्टर्स। ऐसे में यहाँ के लोगों के लिए मुसीबतें और बड़ जाती है। हमारे पहाड़ हमेसा से ही चिकित्सकों का इंतजार कर ने को मजबूर है क्योंकि तमाम घोसनायों के बावजूद यहाँ ना मेडिकल सुविधा पहुँची है ना ही डॉक्टर।
         जब पहाड़ पर कोई हादसा या किसी की तबियत बिगड़ती है तो उसे शेहर की तरफ लाया जाता है क्योंकि शेहरो में आधुनिक सुविधाएं और अच्छे चिकित्सक मौजूद है। लेकिन हर कोई इतना खुदकिस्मत नहीं होता। बहुत बार पहाड़ से शहर तक लाने में ही बहुत लोग अपनी जिंदगी खो देते है क्योंकि शेहरो तक मरीजों को लाने में बहुत समय लगता है । ऐसे में वो भी पुरे रास्ते यही सोचता होगा की आखिर कब यहाँ अस्पताल बनेंगे और कब यहाँ चिकित्सक पहुँचेंगे? सरकार कहने को तो कहती है की हम पहाड़ों तक हर सुविधा पहुचाएंगे, लेकिन ये नहीं कहती की कब पहुचाएंगे? हमारे पहाड़ पे जिंदगी वैसे ही इतनी मुश्किल होती है ऐसे में मूलभूत सुविधाओं का ना होना उनके लिए ओर मुश्किल पैदा करता है। सरकार को बुलेट ट्रेन, फ्री वाईफाई, काला धन के अलावा हमारे पहाड़ों के बारे में भी सोचना चाहिए।

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