Sunday, 14 August 2016

आज कल का प्यार....

चलते चलते यूँही रुक जाता हूँ में, बेठे बेठे यूँही खो जाता हूँ में, क्या यही प्यार है? बिलकुल नहीं। आज कल प्यार,लव,इश्क़ इन सबकी परिभाषा ही बदल चुकी है। आजकल लव लोगों के लिए एक जुखाम की तरह हो चूका है,जो कि आता जाता रहता है। न ही मन से कोई किसिको मानता है न ही इज्जत करता है। बस टाइम पास या अपना मतलब निकलना ही लव हो गया है। आज का प्यार, प्यार नहीं लगता बस कुछ दिनों का या कुछ महीनों का साथ होता है। इंसान हमेसा से ही प्यार का इच्छुक रहा है शायद यही कारण है की वो हमेसा प्यार की तलाश में भटकता रहता है, उसकी आँखें हमेसा उस प्यार को ढूंढने में लगी रहती है और जब वो प्यार उसे मिल जाता है तो उसे वो वक़्त बेहद खास लगने लगता है। लेकिन वक़्त के साथ साथ बहुत कुछ बदल जाता है। ये हम अक्सर देखते है, अपने आस-पास की वक़्त के साथ-साथ इंसान के जज्बात और इच्छाएं भी मौसम की तरह बदल जाती है। 
       आजकल प्यार मिलना किसी फ़िल्म का टिकट मिलने जितना आसान हो चुका है। घर से सोचकर निकलो की शाम तक तम्हे तम्हारा प्यार चाहिए तो शाम तक किसी न किसी गली या महोल्ले में इंसान को उसका प्यार मिल ही जाता है। आजकल प्यार सोशल साइट्स पे मिलना बहुत ज्यादा आसान हो चूका है। बस थोड़ी सी मेहनत और ढेर सारा प्यार। फेसबुक तो मानो मेट्रिमोनियल साईट बन चुका है जो की रोजाना हजारों लोगों का रिश्ता करवाता है। फेसबुक पे दोस्ती, व्हाट्सऐप पे बातें और शाम को मुलाकातें..फिर ये रोजाना चलता है। लेकिन कब तक? क्या आज जिस इंसान के लिए तुम रात भर जाग रहे हो, इतना खर्चा कर रहे हो, अपने दोस्तों तक को भूल रहे हो क्या वो इंसान हमेसा तुम्हारा साथ देगा? शायद नहीं। लेकिन ऐसा नहीं है की आजकल प्यार को घूमना-फिरना तक ही देखे, बहुत लोग है जो दोस्ती से शुरुवात करते है और फिर साथ साथ भूड़े हो जाते है। लेकिन ये बेहद कम देखा जाता है वरना आज कल प्यार का पहला किस्सा 8वीं -9वीं कक्षा में शुरू हो जाता है और जवानी तक आकंड़ा 50 पार भी कर लेता है। आजकल प्यार बस फेसबुक या व्हाट्सऐप तक ही सीमित रह चुका है। धोखा मिलना तो मानो युवाओं का जन्म सिद्ध अधिकार बन चुका है। चाहे लड़के को या लड़कियां आजकल प्यार को सिर्फ एक खेल की तरह ही लेते है, जिसने दोनों जीतना चाहते है लेकिन हमेसा जीत सिर्फ एक की ही होती है।
         20-25 साल पहले सुनने में आता था की पहला-पहला प्यार है पहली-पहली बार है.. लेकिन आज कल प्यार 15वीं बार तक पहुँच जाता है और अगर इस समय तक उसकी शादी नहीं हुई तो इसका आंकड़ा और भी आगे बड़ जाता है। मतलब साफ़ है की आजकल युवाओं में सिर्फ अट्रैक्शन को ही प्यार का रूप माना जाता है। इसके आगे ना वो सोचते है ना ही बढ़ते है। आजकल लव सिर्फ इंटरनेट के बरोसे ही चलता है क्योंकि बिना फेसबुक, बिना व्हाट्सऐप प्यार आजकल मुमकिन ही कहाँ।

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