1947 में जब भारत आजाद हुआ था तब किसि को ये मालूम नहीं था की जिस हिंदुस्तान के लिए हमारे वीर क्रान्तिकारी अपनी जान की बाज़ी लगा रहे है, उस हिंदुस्तान में कुछ दरिंदे देश की इज्जत को हमेशा ताड़ ताड़ करने की कोशिश करेंगे। बड़े शर्म की बात है की जिस देश में लड़कियों को भगवान का रूप माना जाता है उसी देश के अंदर रोजाना 15-20 बलात्कार या छेड़ छाड़ की घटनाएं होती है, यानी हर साल हमारे देश से लगभग 4000 ऐसी घटनाएं सामने आती है।
हमारे देश का कानून या प्रशाशन दोनों ही इन मामलों में कहीं न कहीं सुस्त सी दिखती है। ताज़ा मामला यूपी के बुलंदशहर का है जहाँ आधी रात को मैन हाईवे पर एक माँ और उसकी 14 साल की बेटी से सामूहिक दुष्कम हुआ। सामने से पुलिस की गाड़ी गुजरी लेकिन किसी का भी ध्यान हाईवे से मात्र 40मीटर दूर उस वारदात की तरफ नहीं गया। रात भर पीड़ित 100 नंबर पे कॉल करते रहे , चीखते रहे, रोते रहे लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया। उस वक़्त उनके दिल में क्या गुजर रही होगी ये सिर्फ वो ही जानते होंगे लेकन इसे महसूस तो पूरा हिंदुस्तान कर सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी की देश की सबसे बड़ी पुलिस फ़ोर्स उत्तर प्रदेश के पास है, सबसे ज्यादा आईपीएस अफसर यहीं है,लेकिन सबसे ज्यादा घिनोने काम भी यूपी में ही देखने को मिलते है । हालात बेहद ख़राब हो चुके है,इन सब घटनाओं में न पुलिस सख़्ती दिखती है न ही हमारी सरकार।आज पूरा हिंदुस्तान उन माँ बेटी के साथ खड़े होने की बात कर रहा है लेकिन काश उस रात सिर्फ 1 पुलिस कर्मी उनके साथ खड़ा होता तो वो घिनोनी रात उनकी जिंदगी में कभी नहीं आती। हमेसा की तरह सरकार वारदात के बाद ही जागी और आरोपियों को सख्त से सख्त सजा देने की बात कही। ये पहली बार नहीं है की हमारे देश में इस तरह की घटनाएं सामने आई हो। हर साल हजारों ऐसी ही घटनाएं होती है, हर साल कोई नया दरिंदा वारदात को अंजाम देता है,हर साल देश ऐसे ही रोता है लेकिन तस्वीर घूम के वहीँ आ जाती है।
आखिर क्यों हमारे देश में लड़कियां सुरक्षित नहीं है? सरकार वादे तो तमाम करती है की महिलाओं की सुरक्षा के लिए ये काम किया-वो काम किया, लेकिन हक़ीक़त क्या है आज एक बार फिर हिंदुस्तान ने अपनी आखों से देख लिया। जब जरूरत पड़ी न 100 नंबर काम आया न ही मित्र कहलाने वाली पुलिस।
हमारे देश का कानून या प्रशाशन दोनों ही इन मामलों में कहीं न कहीं सुस्त सी दिखती है। ताज़ा मामला यूपी के बुलंदशहर का है जहाँ आधी रात को मैन हाईवे पर एक माँ और उसकी 14 साल की बेटी से सामूहिक दुष्कम हुआ। सामने से पुलिस की गाड़ी गुजरी लेकिन किसी का भी ध्यान हाईवे से मात्र 40मीटर दूर उस वारदात की तरफ नहीं गया। रात भर पीड़ित 100 नंबर पे कॉल करते रहे , चीखते रहे, रोते रहे लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया। उस वक़्त उनके दिल में क्या गुजर रही होगी ये सिर्फ वो ही जानते होंगे लेकन इसे महसूस तो पूरा हिंदुस्तान कर सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी की देश की सबसे बड़ी पुलिस फ़ोर्स उत्तर प्रदेश के पास है, सबसे ज्यादा आईपीएस अफसर यहीं है,लेकिन सबसे ज्यादा घिनोने काम भी यूपी में ही देखने को मिलते है । हालात बेहद ख़राब हो चुके है,इन सब घटनाओं में न पुलिस सख़्ती दिखती है न ही हमारी सरकार।आज पूरा हिंदुस्तान उन माँ बेटी के साथ खड़े होने की बात कर रहा है लेकिन काश उस रात सिर्फ 1 पुलिस कर्मी उनके साथ खड़ा होता तो वो घिनोनी रात उनकी जिंदगी में कभी नहीं आती। हमेसा की तरह सरकार वारदात के बाद ही जागी और आरोपियों को सख्त से सख्त सजा देने की बात कही। ये पहली बार नहीं है की हमारे देश में इस तरह की घटनाएं सामने आई हो। हर साल हजारों ऐसी ही घटनाएं होती है, हर साल कोई नया दरिंदा वारदात को अंजाम देता है,हर साल देश ऐसे ही रोता है लेकिन तस्वीर घूम के वहीँ आ जाती है।
आखिर क्यों हमारे देश में लड़कियां सुरक्षित नहीं है? सरकार वादे तो तमाम करती है की महिलाओं की सुरक्षा के लिए ये काम किया-वो काम किया, लेकिन हक़ीक़त क्या है आज एक बार फिर हिंदुस्तान ने अपनी आखों से देख लिया। जब जरूरत पड़ी न 100 नंबर काम आया न ही मित्र कहलाने वाली पुलिस।
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