आज पूरी दुनिया में हजारो लाखों दंपति ऐसे है जो बच्चों के सुख से परे है, ऐसे दंपति सरोगेसी का सहारा लेते है यानी किराये की गोद। ये कानून भारत में इसलिए लाया गया था ताकि निसंतान दंपति को संतान सुख मिल सके। पहली बार भारत में 1994 मार्च, में सरोगेसी का प्रयोग किया गया था। तब से आज तक लाखों लोगों को इससे मदद पहुँची है लेकिन अब सरोगेसी पर कानून कड़ा हो चुका है क्योंकि लगातार सरोगेसी की आड़ में निजी अस्पताल और संस्था गलत तरीके से पैसे कमाने का काम कर रही है।
आज सरोगेसी पर कानून इसलिए सख्ती दिखने को मजबूर है क्योंकि आज इस में गंदगी फ़ैल चुकी है। बहुत बार देखने को मिला है कि आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को शेहरो में काम दिलाने के बहाने सरोगेसी में धकेल दिया जाता है। कमजोर वर्ग की महिलाओं के लिए सरोगेसी शोषण का जरिया बन चुकी है। आज इसका कारोबार एक अरब से भी ज्यादा का हो चूका ह, ये कारोबार निजी चिकित्सकों और दलालो के जरिये चलता है लेकिन सरकार इसमें अंकुश लगाने में अभी तक विफल साबित हुयी है। लेकिन अब सरकार इसमें ज्यादा से ज्यादा सख्ती दिखने लगी है जिसके चलते अब केंद्र सरकार ने ये प्रावधान निकाला है की अब से सिर्फ रिश्तेदार में महिला ही किराये की कोख दे सकती है वो भी सिर्फ एक बार। इस कानून के अंतर्गत अब सरोगेसी को बेहतर तरह से चलाया जायेगा ताकि इसकी आड़ में कोई गलत काम न हो सके। आपको जानकर हैरानी जरूर होगी की भारत में सरोगेसी के लिए दवाइयाँ और अस्पताल थोड़े सस्ते है यही वजय है की विदेशी दंपति भी सरोगेसी के लिए भारत का रुख करते है।
हमारे समाज में बहुत से नियम है, सरकार द्वारा बहुत से कानून बनाये गए है लेकिन इनका पालन शायद ही कोई करता हो। सरोगेसी को मानव के हित के लिए प्रावधान में लाया गया है तो हमारी भी जिम्मेदारी बनती है की हम अपने सरकार के नियमों का पालन करे।
हमारे समाज में बहुत से नियम है, सरकार द्वारा बहुत से कानून बनाये गए है लेकिन इनका पालन शायद ही कोई करता हो। सरोगेसी को मानव के हित के लिए प्रावधान में लाया गया है तो हमारी भी जिम्मेदारी बनती है की हम अपने सरकार के नियमों का पालन करे।
gud rahul... lge rho
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