Sunday, 18 September 2016

अब तेज़ाब के बदले तेज़ाब..

हम रोजाना एसिड अटैक की ख़ौफ़नाक घटनाएं सुनते है, कहीं बदले की आग में ये कांड किया जाता है तो कहीं एक तरफ़ा प्यार के चलते। आज एसिड अटैक की बहुत सारे मामले सामने आ रहे है , इस घिनोनी वारदात को अंजाम देने वालों को ना कानून का दर सताता है ना ही खुदा का। सरकार से तेज़ाब यानि "एसिड" की बिक्री पर प्रतिबंध तो जरूर लगाया है लेकिन आज भी हमारे देश में तेज़ाब खरीदा-बेचा जाता है। 


         ये बेहद संवेदनसील मामला है क्योंकि एसिड अटैक से जान तक चली जाती है। एसिड अटैक यानि किसी के चेहरे पे तेज़ाब फेंकना। तेज़ाब एक बेहद खतरनाक तरल पदार्थ होता है जो की किसी लावे से कम नहीं होता, हमारे शरीर या कपड़ों में तेज़ाब का एक बूंद भी पड़ जाये, तो वो चीज बुरी तरह जल जाती है। तो जरा सोचिए कि उन लड़कियों और महिलाओं को कितना दर्द सहन करना पड़ता होगा जो इस तरह के वारदात से होकर गुजरे हो। एसिड चेहरे पे गिर जाने से चेहरा बुरी तरह झुलाज़ जाता है। बड़े शर्म की बात है कि हमारे देश में कानून के सख्ती के बावजूद हर महीने बहुत से केस एसिड अटैक के सामने आते है, बात करे 2012 से अभी तक तो पिछले 5 सालों में 4700 मामले एसिड अटैक के सामने आ चुके है जिनमे अधिकतर केस में पीड़ित की मौत हुई है। ज्यादातर मामले उत्तरप्रदेश , बिहार और दिल्ही से आते है। एसिड अटैक ज्यादातर महिलायों और लड़कियों पर फेंका जाता है, जिसके पीछे बहुत से कारण होते है। आज भी दहेज़ के लिए महिलाओं पर अत्याचार होते आ रहे है, बहुत बार तो ससुराल वालों की तरफ से बहु पर एसिड तक डाला जाता है। दूसरा एहम कारण होता है एक तरफ़ा प्यार। प्यार करना बिलकुल भी गलत नहीं है, लेकिन किसी से जबरदस्ती प्यार करना कहाँ की महोब्बत है? अक्सर देखा जाता है कि जब किसी आशिक को उनकी मनपसंद लड़की प्यार करने से इंकार करती है तो वो उसपे एसिड अटैक कर देता है, एक तरफ़ा प्यार में एसिड अटैक के हर महीने 20 से 25 केस सामने आते है। कभी कभी कुछ मनचले सड़क पर चलती महिलाओं पर बदले की भावने में एसिड फेकते है। जो दरिंदे ऐसी हरकतें करते है उन्हें बिलकुल भी कानून का डर नहीं होता, ना ही वो कभी सोचते है कि एसिड चेहरे पे लगने से उस महिला या उस लड़की का क्या होगा? उन्हें ये सोचना चाहिए की अगर कोई उनकी बहन या माँ पर एसिड अटैक करे तो उनके कैसा लगेगा? एसिड अटैक एक बेहद बड़ा जुर्म है, किसी के ऊपर एसिड से अटैक करना कहाँ की इंसानियत है? मेरा मानना है कि ऐसे लोगों को वही सज़ा मिलनी चाहिए जो ये कर रहे है, सीधी बात बोलू तो एसिड के बदले एसिड।
           आज सरकार लड़कियों की सुरक्षा के हजारों दावे करती है, हर तरह की सुविधा देने की बात कर रही है लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि इतना बोलने,सुनने और देखने के बावजूद आज भी कानून इस तरह की वारदातों को रोकने में असमर्थ है। एसिड अटैक की घटनाओं के खिलाफ हम सभी को आवाज़ उठाने की जरूरत है और सरकार से गुजारिश है कि दोषियों के साथ भी वही किया जाये जो उन्होंने किया है , ताकि हमारे देश में एसिड अटैक की वारदात करने की कोई हिम्मत तो दूर कोई सोच भी ना सके।

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