हमेसा सुना था कि वक़्त आएगा जब इंसान आपस में पानी को लेकर लड़ेंगे लेकिन आज हमे जो तस्वीर बेंगलोर, तमिलनाडु और कर्नाटक में देखने को मिल रही है उससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि, हमारे देश में एक नदी के लिए किस हद तक आक्रोश दिख सकता है। आज आधा भारत अग्नि की भेंट चढ़ा हुआ है, कावेरी नदी के बटवारे की बजय से। कावेरी नदी तमिलनाडु, कर्नाटक और केरला से होकर बहती है, फिर सागर में समां जाती है। कावेरी नदी के पानी का ज्यादातर हिस्सा कर्णाटक और तमिलनाडु में ही रहता है, ऐसे में कावेरी नदी के पानी के बटवारे को लेकर अब हिंसा ओर उग्र हो चुकी है।
कावेरी विवाद 1910 से शुरू हुआ जब दोनों राज्यों ने नदी पर बाँध बनाने की योजना बनाई थी। 1924 में अंग्रेजों की अनुमति में दोनों राज्यों के कृषि छेत्र को लेकर समझौता हुआ जो की अगले 50 सालों तक के लिए था। इस समझौते के हिसाब से कावेरी का 75 प्रतिशत पानी तमिलनाडु को और 25 फीसदी पानी कर्णाटक को मिलना था। बाद में इस विवाद में केरल और पॉन्डिचेरी भी शामिल हो गए। आज विवाद बेहद बाद चूका है जिसके चलते यहाँ धारा144 लगा दी गयी है , बावजूद इसके पुरे राज्यों में हिंसा की दिल दहलाने वाली तसवीरें सामने आ रही है। प्रदर्शनकारियों द्वारा हिंसा के चलते कर्णाटक में 35 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया और कई होटल्स और रेस्टुरेंट में तोड़ फोड़ की गयी। वैसे पूरा विवाद सिर्फ कावेरी नदी के बटवारे को लेकर नहीं हुआ, दरसल सोशल मीडिया पर एक 22 वर्षिय युवक द्वारा कन्न्ड़ फिल्म अभिनेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी किये जाने पर बंगलूरू में कुछ युवकों ने उसे बुरी तरह पीटा, जिसका वीडियो वायरल हो गया और उसके बाद हिंसक प्रदर्शन का दौर तेज हो गया। अब इसे कावेरी नदी के लिए प्रदर्शन कहे या फिर उस युवक की पिटाई का नतीजा , बात चाहे जो भी हो लेकिन सच्चाई ये है कि आज हमारे देश के 4 राज्यों में हालात बेहद खतरनाक बने हुए है, और हिंसक प्रदर्शन लगातार जारी है। बेंगलुरु से कर्नाटक जाने वाली सारी गाड़ियों को रोक दिया गया है,साथ ही लोकल रेल सेवाएं भी बाधित हो रही है जिससे लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार आपातकाल मीटिंग करने पर मजबूर हो गयी है क्योंकि अब इस विवाद को कैसे रोका जाए ये ही सबके मन में चल रहा है।
कावेरी नदी का विवाद काफी समय से चल रहा है, लेकिन आज इस विवाद ने हिंसक रूप ले लिया है जिसका खामियाजा पूरे देश को उठाना पड़ सकता है। नदी के पानी के लिए आग का सहारा लेने की कोई जरूरत नही है। इस तरफ हिंसक प्रदर्शन करने से सिर्फ राज्य की, देश की छवि खराब होती है।
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