Wednesday, 14 September 2016

हिंदी से परहेज क्यों?

आज हम सब 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मना रहे है, लेकिन सिर्फ 14 सितम्बर को ही क्यों? साल के 365 दिनों को ही हिंदी दिवस के रूप में मनाने की जरूरत है क्योंकि हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है ये हम भारतियों की पहचान है। विश्व की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषायों में से एक हिन्दी भी है, जो की विश्व की चौथे नंबर की सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है।
       भारत एक ऐसा देश में जिसमे हर 50 कीमी पर एक नयी बोली सुनने और देखने को मिलती है। यहाँ हजारों बोलियां है लेकिन उन सबको जोड़कर भारत कहलाने वाली भाषा है हिंदी। आज हम सब पष्चिमी संस्कृति की ओर बड़ रहे है, कहीं न कहीं बाहरी संस्कृति के चक्कर में हम अपनी खुद की संस्कृति को भूल रहे है, अपनी पहचान को भूल रहे है। खुद को समाज में प्रबल और पढ़ा-लिखा दिखाने के लिए हम अंग्रेजी भाषा का प्रयोग ज्यादा करने लगे है। क्योंकि हमें लगता है कि हिंदी बोलने से शायद हमारे स्टेटस को हानि पहुँच सकती है। आज बच्चों को स्कूलों में पहली कक्षा से ही इंग्लिश बोलने के लिए कहा जाता है और हिंदी बोलने पर सजा भी दी जाती है क्योंकि आज माना जाता है कि जिंदगी में कामयाब होने के लिए इंग्लिश भाषा अच्छे से आनी चाहिए भले ही हिंदी में डब्बा गुल हो। पष्चिमी संस्कृति की चाका चोंग देखते हुए हर कोई आज हिंदी से पल्ला झाड़ रहा है और दूसरी संस्कृति को अपना रहा है। ना जाने लोगों को इस बात से आपत्ति है कि हिंदी ही तो हमारी राष्ट्र भाषा है तो इसे बोलने में क्या शर्म? ज़रा सोचिए हिंदी न होती तो क्या हिंदुस्तान की कोई पहचान होती? क्या हमारे देश का अस्तिव आज उजागर होता? आज 100 से भी ज्यादा देश ऐसे है जहाँ सिर्फ इंग्लिश भाषा बोली जाती है, लेकिन पूरे विश्व में सिर्फ भारत एक ऐसा देश है जहाँ सबसे ज्यादा हिंदी बोली जाती है। तो ये हमारे लिए बेहद गर्व की बात है कि हम अपनी संस्कृति को पकड़े हुए है लेकिन धीरे धीरे ये हमारे हातों से छूटती जा रही है क्योंकि अब लोगों को हिंदी बोलने में जरा शर्म महसूस हो रही है। भाषा-वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया में लगभग 7,100 भासाएं है, जिनमे से सिर्फ 23 भाषाएं बोलने वाले लोगों की संख्या 5 करोड से अधिक है। हिंदी हमारे देश की मातृभाषा है जिसे यहाँ लगभग 80 फीसदी लोग बोल सकते है और समझते है।
        मेरा मानना है कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा के साथ साथ हमारे देश की पहचान भी है, हमे इसे हर कीमत पर बचाना है। हिंदी बोलने हमारे लिए गर्व की बात होनी चाहिए क्योंकि हम भारतीय है। सारी भाषाएं बोलिये लेकिन अपनी हिंदी से परहेज मत करिये, जो हमारी पहचान है उससे परहेज क्यों?

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