Thursday, 15 September 2016

पैरालंपिक से नाराजगी क्यों?

रियो ओलंपिक में इस साल भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, करोड़ो रुपए खर्च करने के बावजूद हमारी झोली में सिर्फ 3 ही मैडल आये। लेकिन रियो ओलंपिक के बाद अब बारी थी पैरालंपिक की जिसमे भारत का प्रदर्शन बेहद खास दिख रहा है, अभी तक भारत को दो गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉउन्ज़ मैडल मिल चुका है। एक तरफ रियो के समय में पूरा भारत हमारे एथलीटों का हौसला बड़ा रहा था तो वहीँ पैरालंपिक में खिलाड़ियों के प्रदर्शन की तरफ कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है, आखिर क्यों पैरालंपिक से हम नाराज है?
           पैरालंपिक में हर देश के दिव्यांग एथलीट हिस्सा लेते है, जिसमे सारे ओलंपिक के खेलों का आयोजन होता है। रियो ओलंपिक में तो भारत कुछ ख़ास नहीं कर सका लेकिन हर बार की तरह पैरालंपिक में भारत का जोरदार प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। चाहे मारियप्पन हो या वरुण भाटी, या फिर गोल्डमैन झाझरिया इनके बेहतरीन प्रदर्शन के बदौलत एक बार फिर पैरालंपिक में भारत का झंडा लहराया है। इन पैराएथलीटों को उस हद तक बेहतर सुविधा नहीं मिल सकी जितनी एक एथलीट को मिलती है, बावजूद इसके आज इनका जज्बा हर कोई देख रहा है। बड़े शर्म की बात है कि हमारे देश में इन एथलीट को उस भावना से नहीं देखा जाता जैसा आम एथलीट को देखा जाता है , कारण शायद ये है कि ये दिव्यांग है। क्या दिव्यांग होना पाप है? अरे इन्होंने तो वो कर दिखाया जो अच्छे-खासे लोग नहीं कर सकते। हमारे देश का सिस्टम और स्पोर्ट्स अथॉरिटी इनकी तरफ बिलकुल भी ध्यान नहीं देता, शायद उन्हें ये लगता है कि ये लोग कुछ नहीं कर सकते इसलिए इनपे क्या मेहनत करना। हमारे देश में एक एथलीट पर सरकार 15 से20 करोड रुपए खर्च करती है लेकिन पैराएथलीट और सिर्फ 10 लाख रुपए ही खर्च होते है। अकेले अभिनव बिंद्रा पर ओलंपिक की तैयारियों में 18 करोड रुपए खर्च हुए थी, तो वहीँ शूटिंग पैराएथलीट पर सिर्फ 12 लाख रुपए खर्च हुए। जबकि सच्चाई ये है कि एक पैराएथलीट को ज्यादा सुविधायों की जरूरत पड़ती है लेकिन कोई इनकी सुध लेने वाला नहीं।
          रियो ओलंपिक में जाने वाले 118 खिलाड़ियों को फिल्म स्टार्स ने लाखों रुपए दिए, लेकिन अभी तक किसी भी सेलेब्रेटी द्वारा पैराएथलीटों को किसी भी तरह की मदद नहीं दी गयी है। सचिन तेंदुलकर ने रियो ओलंपिक में जीतेंगे वाले खिलाड़ियों को एक एक BMW गाड़ी दी, अब देखना होगा की क्या भारत का नाम रोशन करने वाले इन पैराएथलीटों को इनाम मिलता है या नहीं। कोई इनाम दे न दे, ये बड़ी बात नहीं है , हम चाहते है कि 130 करोड भारतवासी और हमारी सरकार इन खिलाड़ियों की तरफ ध्यान दे क्योंकि ये सिर्फ खिलाडी नहीं है ये हम सबका गौरव है।

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