Tuesday, 27 September 2016

बिना समझौता तोड़े भारत लेगा बदला..

उड़ी हमले की आज पूरा हिंदुस्तान निंदा कर रहा है, आवाम की मांग है कि जल्द से जल्द पाकिस्तान को उनकी इस हरकत की कठौर सज़ा दी जाये। अब युद्ध के लिए तो शायद हमारी सरकार इजाजत न दे तो एक और तरीका भारत ने ख़ोज निकाला है जिससे बिना युद्ध किये पाकिस्तान को उड़ी हमले की सज़ा मिल जायेगी। वो सज़ा मिलेगी सिंधु जल समझौते को तोड़कर, लेकिन क्या इस समझौते को तोड़ना भारत के लिए इतना आसान होगा? 
            कराची में 19 सितम्बर,1960 को भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी जल समझौता हुआ था, तब तीन पार्टियों भारत, पाकिस्तान और वर्ल्ड बैंक ने इस पर हस्ताक्षर किये थे। इस समझौते के अंतर्गत भारत से सिंधु नदी के साथ साथ उसकी सहायक नदियों के पानी को पाकिस्तान के लिए देना था, इससे पाकिस्तान को पानी तो मिलता ही इसके साथ साथ दोनों देशों के बीच दोस्ती भी रहती लेकिन समझौते के 5 साल बाद ही पाकिस्तान की तरफ से हिंदुस्तान पर आतंकी हमला हुआ और तभी से भारत समझ गया कि पाकिस्तान हमारा ही पानी पीके हमसे ही युद्ध करेगा। लेकिन बावजूद इसके भारत ने पिछले 55 सालों से कभी भी इस समझौते को तोड़ने की बात नहीं कही, जबकि पाकिस्तान की तरफ से हमेसा युद्ध होता रहा है। 1971 का युद्ध , फिर कारगिल और उसके बाद भी कई बार पाकिस्तान ने भारत को इस समझौते को तोड़ने के लिए मजबूर किया लेकिन भारत ने बड़प्पन दिखाते हुए ये कदम नहीं उठाया। आज हर टीवी चैनल, अखबार और विशेषज्ञ ये बात बोल रजे है कि भारत को सिंधु जल नदी समझिता तोड़ देना चाहिए ताकि पाकिस्तान पानी के लिए तड़प उठे। लेकिन क्या हम ये जानते है कि इस समझौते को तोड़ना कोई आसान काम नहीं है। अगर भारत इस समझौते को तोड़ता है फिर भी वो सिंधु और उसकी सहायक नदियों का पानी पाकिस्तान जाने से नहीं रोक सकते क्योंकि अभी तक भारत ने इसके लिए कश्मीर में कोई डैम या नहर नहीं बनाई है। अगर समझौता आज टूटता भी है तो पानी रोकने में 15 से 20 साल तक लगेंगे। दूसरा कारण ये है कि अगर भारत ये समझौता तोड़ देता है तो पाकिस्तान में आतंकवादी आवाम को हिंदुस्तान के खिलाफ खड़ा कर सकते है। इसलिए भारत ये समझौता तो नहीं तोड़ेगा लेकिन अपने अधिकारों का अब पूरा यूज़ करेगा। अभी तक हिंदुस्तान सिंधु और उसकी सहायक नदियों यानि की  झेलम,रवि,सतलुज और चेनाब का भरपूर यूज़ नहीं किया है, भारत सिर्फ 20 % पानी का इस्तेमाल करता है जबकि समझौते के हिसाब से भारत 60 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल कर सकता है। अगर भारत सिंधु जल समझौता का भरपूर इस्तेमाल करता है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो जायेगी।
        पाकिस्तान को अब ये नहीं भूलना चाहिए की भले की भारत इस समझौते को बड़ी तोड़ सकता लेकिन वो अपने सिंधु जल समझौते का पूरा इस्तमाल कर सकता है जो की पाकिस्तान के लिए बड़ी चिंता का विषय है। पाकिस्तान की 77 प्रतिशत जनता सिंधु और उसकी सहायक नाफ़ियों के भरोसे है ऐसे में अगर भारत भी इस समझौते से नदी का ज्यादा इस्तेमाल करता है तो पाकिस्तान की हालत क्या होगी ये पूरा पाकिस्तान जनता है।

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