Saturday, 24 September 2016

अब न कहना भी मुश्किल..

एक मेडिकल कॉलेज की लड़की को कॉलज जाते हुए एसिड अटैक का शिकार बना दिया जाता है, एक काम करने वाली लड़की को सरेआम 25 बार चकुयों से मारा जाता है, एक लड़की को जला दिया जाता है ये सब घटनाएं रोजाना हमारे देश में होती है क्योंकि लड़कियों का कसूर सिर्फ इतना है कि उन्होंने मनचले आशिक़ का प्रेम प्रस्ताव को मना किया। 
            बड़े ताज्जुब की बात है कि जिस देश में लड़कियां आईपीएस,पीसीएस और यहाँ तक की राष्ट्रपति तक बन जाती है उसी देश में आज भी लड़कियों को राह चलते मार दिया जाता है। कुछ सरफिरे लड़के जो खुद को आशिक़ नाम देते है उन्हें ये कौन समझाये की इस तरह की हरकतें इंसान नहीं बल्कि शैतान करते है। उन्ही वजय से आज लड़कियों को न कहने का डर सताने लगा है क्योंकि न कहने पर तो लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करदी जाती है या उन्हें मार दिया जाता है। ये तो उस ज़माने की तरह हो गया जब राजा अपने राज्य में कोई सुंदर लड़की को देख लेते थे या उन्हें अगर को पसंद आ गयी तो वो उस राजा को हर कीमत पर चाहिए, चाहे उसके लिए खून तक बेह जाये। अरे ये 21वीं सदी है, आज इंसान चाँद को छू रहा है और कुछ सरफिरे युवक आज भी लड़कियों को दासी समझ रहे है। आज लड़कियों को इतना भी हक़ नहीं की वो किसी लड़के के प्रेम प्रस्ताव को न बोल सके, उनकी जिंदगी है उन्हें फैसला लेने दो जबरदस्ती न रिश्ता बनता है और न ही बनाया जाता है। कुछ दिनों तक लड़की का पीछा करना, उसे डराना-धमकाना , गलत हरकत करना ये सब वो करते है जो लड़के नहीं होते या यूं कहें जो मर्द ही नहीं होते, सबसे पहले इंसानियत को सीख लो तब सोचना इधर-उधर की। आजकल लड़कों ने लड़कियों को परेशान करना अपना पेशा बना दिया है, अगर लड़की ने गुस्सा किया या लड़के का दिल तोड़ा तो उस लड़की को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती, झूट-झूट की कहानियां, गंदे आरोप और चरित्र पे सवाल खड़े कर दिए जाते है। अक्सर ये देखा जाता है कि को युवक खुद बदनाम है वो भी अगर किसी लड़की के चरित्र पे ऊँगली उठाये तो उसी को सब मान लेते है क्योंकि लड़कियों को तो उनकी सच्चाई के साथ दबा दिया जाता है। सबसे ज्यादा बुरा हाल आज दिल्ही का है जहाँ रोज़ाना सरफिरे आशिक़ न कहने वाली लड़कियों को बेहरमी से मार देते है या उनपे एसिड फेंक देते है न प्रशाशन का डर न ही खुदा का।
           इस तरह की घटनाओं को जल्द की रोकना होगा लेकिन कैसे? मेरा मानना है कि इस तरह के आरोपियों को हिरासत में लेने की कोई जरूरत नहीं है उन्हें सीधा जान से मार देना चाहिए उन्हें जेल में बंद करने से कुछ भला नहीं होगा देश का सिर्फ कैदियों की संख्या में इजाफ़ा होगा। उन्हें ये बताने की जरूरत है कि लड़कियां उनकी जागीर नहीं की उनका फ़ैसला हसते-हसते मान लिया जाये।


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