हम सबने हमेसा हिंदुस्तान-पाकिस्तान की लड़ाई या टांगखिचाई के बारे में सुना है। आज से नहीं इनके रिश्तों में कड़वाहट काफी समय से है जिसका नतीजा ये है कि हर साल दोनों देशों के हजारों जवानों को अपनी जान खोनी पड़ती है। पाकिस्तान कभी अपनी हरकतों से बाज नहीं आता तो हिंदुस्तान भी हर बार उन्हें मुँह तोड़ जवाब देने में पीछे नहीं रहता। मगर हम सिर्फ पाकिस्तान को दोष नहीं दे सकते, क्योंकि आज जो भी हालात है उनके जिम्मेदार दोनों देश है।
आज हर इंसान इस धरती पे अमन-चेन की दुआ मांग रहा है, कोई अपने भगवन से मांग रहा है तो कोई अपने अल्लाह से। जबकि हम सबको पता है कि भगवन,अल्लाह,खुदा एक ही है। आज पाकिस्तान भारत पे लगातार हमले कर रहा है , कभी कश्मीर का मुद्दा बनाकर तो कभी जातिवाद को लेकर। भारत ने कभी पाक के साथ दुश्मनी नहीं करी बल्कि भारत का हर एक नागरिक चाहता है कि जल्द से जल्द हिंदुस्तान और पाकिस्तान में गहरी दोस्ती हो, दोनों देशों के लोग खुश रहे। पठानकोट धमाका हो या 26/11 का आंतकी हमला, इन हादसों को कौन भूल सकता है लेकिन बावजूद इसके हम ये जानते कि पूरा पाकिस्तान बुरा नहीं है, सिर्फ कुछ लोगों के कारण पूरा पाकिस्तान बदनाम होता जा रहा है। दुश्मनी से किसका भला हुआ है आज तक? दुश्मनी से सिर्फ इंसानियत गुम होती है और लोग कम होते है। आज सबसे ज्यादा आतंकवाद को पाक बढ़ावा देता है ये बिलकुल गलत है, 2-4 लोग मिलकर क्या पाकिस्तान को भारत के खिलाफ खड़ा कर पाएंगे? नहीं बिल्किल भी नहीं क्योंकि पाकिस्तान की आवाम को अच्छे-बुरे का पता है। 130 करोड भारतीय सिर्फ ये चाहते है कि पाक और भारत में दोस्ती का रिश्ता रहे , ऐसा रिश्ता जो विश्व के सामने हमेसा अमर हो जाये। लेकिन क्या ये हो पायेगा?और अगर हो भी पायेगा तो कब होगा? क्योंकि आज जिस तरह पाकिस्तान की हरक़तें है उससे तो ऐसा होना मुश्किल ही लग रहा है। आज पाकिस्तान की हरकतों से तंग आकर बलूचिस्तान भी भारत का साथ दे रहा है अब ये बात हमारे पडोसी पाकिस्तान को जच नहीं रही है। ISIS,IS और तालिबान जैसे आतंकी संगठनों को सहारा देने कोई धर्म नहीं है, कोई मानवता का काम नहीं है।
हम ये नहीं बोल रहे है कि पाकिस्तान को अपनी बात या अपनी सोच रखने का हक़ नहीं है लेकिन ये कैसी सोच जिससे इंसान ही इंसान के खून का प्यासा बन जाये? दोनों मुल्कों में एक जैसे लोग रहते है, तो फिर सोच में इतना बदलाव क्यों? आज कश्मीर के युवा बहकावे में आकर हातों में पत्थर उठा रहे है तो वहीँ एक कश्मीर का ही युवा पत्थर की जगह पेन उतार BSF की परिक्षा में भारत टॉप कर रहा है, ये है सोच का अंतर। आज भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बेहतर नहीं है, हमे इसे बेहतर करना है। इस दुश्मनी से किसी को कुछ नहीं मिलेगा, ये हम सब पिछले कई दशक से देखते आये है, तो ऐसी दुश्मनी का क्या फायदा? दुश्मनी को साइड में रखकर एक बार सोचिये की हिंदुस्तान-पाकिस्तान की दुश्मनी अच्छी, या दोस्ती।
हम ये नहीं बोल रहे है कि पाकिस्तान को अपनी बात या अपनी सोच रखने का हक़ नहीं है लेकिन ये कैसी सोच जिससे इंसान ही इंसान के खून का प्यासा बन जाये? दोनों मुल्कों में एक जैसे लोग रहते है, तो फिर सोच में इतना बदलाव क्यों? आज कश्मीर के युवा बहकावे में आकर हातों में पत्थर उठा रहे है तो वहीँ एक कश्मीर का ही युवा पत्थर की जगह पेन उतार BSF की परिक्षा में भारत टॉप कर रहा है, ये है सोच का अंतर। आज भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बेहतर नहीं है, हमे इसे बेहतर करना है। इस दुश्मनी से किसी को कुछ नहीं मिलेगा, ये हम सब पिछले कई दशक से देखते आये है, तो ऐसी दुश्मनी का क्या फायदा? दुश्मनी को साइड में रखकर एक बार सोचिये की हिंदुस्तान-पाकिस्तान की दुश्मनी अच्छी, या दोस्ती।
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