Friday, 23 September 2016

मिट्टी की खुशबू सी यादें..

जब बारिश की पहली बूँद मिट्टी पर गिरती है उस वक़्त जो मिट्टी की खुशबू आती है वो हर किसीके दिल को छू जाती है उसी तरह हमारी जिंदगी में कुछ यादें उसी खुशबु की तरह होती है जिन्हें सोचकर ही दिल खुश् हो जाता है। चाहे यादें अच्छी हो या बुरी लेकिन वो पुरानी बात और पुराने पल तरोताज़ा कर जाती है,इसलिए यादों को मैं मिट्टी की खुशबू के समान मानता हूं।
        आज हम अपने बचपन को पीछे छोड़ आगे निकल चुके है, जब 9-10 साल के थे तब जिंदगी बहुत अलग थी, आज अलग है और आने वाले समय में भी अलग होगी क्योंकि सब चीज वक़्त के साथ बदलती रहती है। बचपन में स्कूल जाने का बिलकुल मन नहीं होता था, माँ मार मार के घसीटते हुए स्कूल गेट तक लेकर जाती थी, उस वक़्त मेरा कहीं भाग जाने का मन होता था लेकिन जब दिन में छुट्टी की घंटी कानो पर पड़ती थी वो सुबह का गुस्सा न जाने कहाँ भाग जाया करता था। घर पहुँचते ही कहीं जुटे तो कहीं कपड़े फेंककर मस्ती में लग जाय करता था। ये बचपन की बातें आज भी अच्छे से याद है जब हाजी सोचता हूं तो आँखों के सामने बचपन की तस्वीर आ जाती है। जितनी खुशी मुझे ये सब सोचकर मिलती है उतनी ही तकलीफ मुझे इस बात से होती है कि अब बचपन कभी मुड़ के वापस नहीं आएगा, बचपन के दिन चले गए अब जिंदगी के असली मायनों को देखने और सीखने का समय आ गया है। लयकीन आज भी जब खिड़की से बारिश को जमीं पे गिरता देखता हूं तो बचपन की यादें ताज़ा हो उठती है, तब भी में बारिश के बूदों को गिनने की कोशिश करता था, हर बार करता था लेकिन हमेसा हार जाता था। हँसी सी आती है ये सब सोचकर तो थोड़ा हस लिया करता हूँ क्योंकि आज भी में उन बूदों को गिनने में कामयाब नहीं हो पाता। मुझे आज भी याद है सर्दियों में सुबह के वक़्त सीसे पे धुंध पड़ी रहती थी, उनमें ऊँगली से घर बनाना, घर के बहार एक गाड़ी और एक गेट, मानो मैं अपना सपना उसमे बना रहा हूँ।
         आज ये सब बातें एक याद बनकर रह गयी है लेकिन आज भी ये उस वक़्त जिंदा हो उठती है जब मिट्टी की खुशबू आती है। अपनेपन का एहसास तो कराती ही है उसके साथ साथ कुछ पलों के लिए हमे बचपन की तरफ लेकर चली जाती है ये खुसबू।

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