Monday, 12 September 2016

राम तेरी गंगा मैली हो गयी...

किसी ने क्या खूब कहा है कि," राम तेरी गंगा मैली हो गयी, पापियों के पाप धोते धोते" क्योंकि आज सच में गंगा पूरी तरह मैली हो गयी है। गंगा को इस धरती की सबसे पावन नदी माना जाता है क्योंकि ये सिर्फ एक नदी नहीं है, ये प्रतीक है करोड़ों हिन्दुयों के आस्था की, ये जीवनदायनी नदी है जिसके किनारे हमारे देश के 40 प्रमुख शहर बसे है। गंगा हिमालय से निकलती है और हजारों मिलो का सफर तय करके ये शांति से बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है। इसका सफर बेहद खास माना जाता है क्योंकि ये हमारे देश की सबसे प्रमुख नदी है।
            गंगा भारत की सबसे प्रमुख नदी है क्योंकि मान्यता है कि गंगा धरती पर सिर्फ लोगों के पाप धोने के लिए जन्मी थी। लेकिन तब उसे क्या पता था कि जिन इंसानों के लिए उसे धरती पर आना पड़ा, वही इंसान एक दिन उसे मेला कर देंगे। आज गंगा लगभग 70% गंदी हो चुकी है , सिर्फ हमारी गलतियों की वजय से। आज हम सब देखते है कि वो गंगा जिसे हम माँ कहते है आज कितनी मैली हो गयी है, रोजाना उसमे कूड़ा-करकट, सीवेज का गंदा पानी, पॉलिथीन जैसे चेजों के मिलने से आज गंगा का स्वरूप ही खराब हो गया है। आज से 20 साल पहले तक गंगा की हालत बिलकुल सही थी लेकिन पिछले कुछ सालों से स्तिथि बेहद खराब होती दिख रही है। हम भी गंगा के किनारे बसे शहर में रहते है, रोज अपनी आँखों से देखते है गंगा को मैली होते हुए लेकिन रोक नहीं पाते। आज गंगा में लाखों लीटर गंगा पानी मिल रहा है लेकिन उसे कोई नहीं रोक पा रहा। गंगा में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सरकार को 20 हजार करोड़ रुपए खर्च करके नमामि गंगे प्रोजेक्ट की शुरुवात करनी पड़ रही है। अगर आज हम गंगा को दूषित नहीं करते तो इतने रुपए खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती। हमारे गंगा घाटों की हालत देख लीजिए या फिर ड्रेनेज सिस्टम की दोनों की दुर्दशा खराब है। आज गंगा का पानी आचमन के लायक भी नहीं रहा है क्योंकि आज हम गंगा में कपड़े तक धो डालते है, तो कुछ लोग तो अपने जानवरों को भी इसे गंगा में नहलाते है ऐसे में गंगा कैसे निर्मल रह पायेगी? सरकार तो अपना काम कर रही है, हर बार एक नया प्रोजेक्ट पेश होता है लेकिन अब हम सबकी बारी है कि गंगा को एक बार फिर से निर्मल बनाया जाये।
        गंगा हमारे लिए सिर्फ एक नदी नहीं है, ये एक जीवनदायनी धारा है जो करोड़ों लोगों को पानी देती है। हमारी पूरी जनसँख्या से 45% लोगों को पानी इसी नदी से मिलता है जिससे उसका जीवन चलता है। त्योहारों के समय पर एक-एक दिन में लाखों लोग इसमें आस्था की डुपकि लगाते है, उसने फूल, कपड़े,प्लास्टिक आदि चीजें फेंकते है लेकिन सिर्फ इतना नहीं सोचते की इसका क्या परिणाम होगा? हमारी माँ गंगा से बहुत आस्था है, हम गंगा को भगवान मानते है लेकिन उसे बहुत गंदा कर रहे है। अगर माँ गंगा को हम भगवान मानते है तो चलिए आज ये सोचले की अब से, आज से ही हम गंगा को प्रदुषण मुक्त बनाके रहेंगे। आस्था अपनी जगह ठीक है लेकिन हमे अपनी माँ गंगा को एक बार फिर निर्मल और स्वच्छ बनाने है।

No comments:

Post a Comment