Sunday, 18 September 2016

ईमानदारी की सज़ा यहाँ मौत..

"Honesty is the best policy" इस कहावत को हम बचपन से स्कूलों में, किताबों में पढ़ते आ रहे है लेकिन क्या कभी इसपे गौर किया है? आज ईमानदारी कहाँ बची है? आज के इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में किसको ईमानदारी का पाठ पड़ोगे और किसपे इतना समय है कि वो ईमानदारी सीखेगा क्योंकि आज तो हमको हर काम के लिए शॉर्टकट चाहिए। आज हमारे देश में ईमानदारी दिखाना अपनी मौत को दावत देने के बराबर हो गया है। 
      अभी कुछ दिन पहले कर्नाटक में एक सरकारी कर्मचारी को ईमानदारी से काम करने की सजा अपने हाथ कटवाके चुकानी पड़ी। बेहद शर्म की बात है कि हमारे देश में ईमानदारी बस किताबों तक ही सिमट कर रह गयी है।आज ईमानदारी से काम करना जान पर भरी पड़ रहा है, ना सरकार कुछ कर रही है और ना ही प्रशाशन। वर्ष 2011 में भी एक मनरेगा के अधिकारी को ईमानदारी की सजा मौत मिली, उन्होंने कुछ भ्रस्ट ठेकेदारों के खिलाफ आवाज उठाई तो उनकी आवाज को हमेसा के लिए बंद कर दिया गया। ऐसे ही हजारों किस्से है हमारे देश में जो बताते है कि यहाँ अभी भी ईमानदार लोग है जो बड़ी ईमानदारी से अपना काम कर रहे है लेकिन भ्रस्ट लोगों द्वारा उनको काफी दिक्कतों से गुजरना पड़ता है। आज भारत 165 देशों की लिस्ट है 67वें नंबर पर सबसे भ्रस्ट देश में शुमार है। हर साल भ्रस्टाचार की वजय से हमारे देश को GDP में 6.5 प्रतिशत का नुक्सान उठाना पड़ता है। आपको जानकर बड़ी हैरानी होगी की हमारे देश में आज भ्रस्टाचार का ही बोलबाला है, भारत में जन्म सर्टिफिकेट से लेकर डैथ सर्टिफिकेट तक बनवाने के लिए घूस देनी पड़ती है, स्कूल में एडमिशन से लेकर सरकारी नौकरी के लिए 25 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक की घूस देनी पड़ती है। आज घूस देना जरूरत बन चुका है क्योंकि बिना रिशवत दिए तो यहाँ बच्चा जन्म भी नहीं ले सकता। एक सर्वे के हिसाब से हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा भ्रस्ट नेता है, फिर पुलिसकर्मी उनके बाद सांसद और फिर सरकारी कर्मचारियों का नंबर आता है।आज इस देश में हर दूसरे व्यक्ति भ्रस्ट है लेकिन कोई इसे गलत नहीं समझता, समझे भी क्यों, अगर कुछ रुपए देने से काम आसानी से हो रहा हो तो क्या प्रॉब्लम? आज भारत में हर परिवार एक साल में 30000 रुपए घूस के तौर पे देता है,मतलब हर व्यक्ति 3700 रुपए घूस हर साल इधर उधर देता है।
    ईमानदारी की बातें हर सरकार करती है लेकिन कुर्सी मिलने के बाद सबसे पहले वो इसी मुद्दे को भूल जाते है। हमे आज ये सोचना चाहिए की हमे बस वो काम करना है जिससे किसी एक इंसान को खुशी मिल सके, अगर ईमानदारी से काम नहीं कर सकते तो बेईमानी भी नहीं करनी चाहिए।

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