Sunday, 25 September 2016

बस्ता है या बोझ..

सुबह सुबह स्कूल के लिए बच्चों को जाता देख एक ही सवाल मन में आता है कि ये इनका बस्ता है या कोई बोझ क्योंकि छोटे छोटे बच्चों की पीठ पर लटके बड़े-बड़े बैग किसी भरी बोझ से कम नही लगते। सरकार का नियम है कि स्कूली बच्चों के बैग का वजन भारी नहीं होना चाहिए लेकिन अक्सर देखने को मिलता है कि बच्चों के बैग का वजन उन्हें वजन से भी ज्यादा भारी होता है। 
  ऐसा नहीं है कि आजकल ही ऐसा देखने को मिलता है, जब मैं भी स्कूल जाया करता था तब मेरा बस्ता भी किसी बोझ से कम नहीं हुआ करता था, घर से स्कूल तक यही सोचता था कि आखिर इतना ज्यादा भार क्यों? कोई हमे देखता क्यों नहीं ही की हम क्या झेल रहे है और कैसे झेल रहे है। घर से निकलते ही लंबे रास्ते को सोचता था और फिर अपने 10 किलो के बस्ते को एक मज़दूर की तरह अपने कंधों पर रखकर स्कूल की तरह निकल पड़ता था। हँसी भी आती थी की पढ़ाई-लिखाई इतनी होती भी नहीं है जितनी किताबें बस्ते के अंदर राखी रहती थी। मुझे ऐसा लगता है कि बच्चों पर इतना बोझ रखने की कोई जरूरत नहीं है अगर घर के लिये होमवर्क भी दे रहे है तो 2 या 3 विषय बहुत है क्योंकि ज्यादा विषयों पर एक साथ काम देना बच्चों के समझ में नहीं आता है सिर्फ बस्ते का वज़न जरूर बढ़ाता है। कानून भो कहता है कि स्कूली बैग का वजन भारी नहीं होना चाहिए और अगर किसी स्कूल को इसका दोषी पाया जाता है तो स्कूल प्रशाशन के खिलाफ सख्ती से कार्यवाही की जएगी, उस स्कूल के प्रिंसिपल और प्रबंदकों को भी सज़ा में हिस्सेदारी मिल सकती है। तो सरकार ने बच्चों के इस समस्या के लिए कड़े कानून तो बना दिए है लेकिन सच्चाई हम सबके सामने है। आज भी रोजाना करोड़ों स्कूली बच्चे पढ़ाई का बोझ एक बस्ते में रूप में लेकर स्कूल जाते है, जिसमे स्कूल प्रशाशन चुप्पी साधे बैठा रहता है। 
            वैसे ही हमारे देश में शिक्षा की बदहाली रहती है, कहीं बच्चे नहीं है तो कहीं शिक्षक नहीं है तो कहीं ये दोनों है तो पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं है। एजुकेशन सिस्टम का हाल तो सबसे ज्यादा बुरा है ऐसे में अगर सरकार इन छोटी छोटी बातों पर भी सख्ती नहीं दिखाएगी तो छोटे-छोटे मासूम बच्चों का क्या होगा?कब तक तो हर सुबह अपने वज़न से भी ज्यादा भारी बस्तों को लेकर स्कूल जायेंगे? माना कि उन कंधों ने कल देश का भार संभालना है इसका ये मतलब तो नहीं की अभी से उनको 10-10 किलो ने बस्ते पकड़ा दिए जाये।

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