कालेधन को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी का अहम फैसला लिया तो देश भर में हड़कंप मच गया,काले धन वालों के खिलाफ ये एक ऐतिहासिक कदम है लेकिन क्या इससे देश का सारा काला धन बाहर आ पायेगा? शायद नहीं क्योंकि ये एक टेम्पररी ईलाज है जबकि देश को इसके लिए एक परमानेंट ईलाज की जरूरत है, और वो इलाज का नाम है कैशलेस सेवा, स्वीडन, चीन,रूस जैसे देशों में काला धन न के बराबर है क्योंकि वहां सब कुछ कैशलेस चलता है.
कैशलेस मतलब कोई भी चीज़ या समान खरीदने के लिए आपको जेब से केश नहीं देना होगा सिर्फ डेविड कार्ड या शॉपिंग कार्ड की मदद से सारी पेमेंट हो जायेगी, इससे न किसीको छुट्टे की जरूरत पड़ेगी न ही जेब में नोट रखने की। अगर बाकि देशों में कैशलेस सुविधा मुहैया हो सकती है तो हमारे भारत देश में क्यों नहीं? आज नोटबंदी से पूरा देश एटीएम के बाहर खड़ा है वहीँ अगर आज लोग कैशलेस सुविधा की तरफ बढ़ते तो किसीको एटीएम या बैंक के बाहर खड़े होने की जरूरत न होती. बहुत से देश ऐसे है जहाँ के 90प्रतिशत बैंकों में एक भी कैश नहीं है वहां की आधे से ज्यादा आबादी कार्ड के जरिये ही पेमेंट करते है। हमारे देश का कैशलेस होना बेहद जरूरी है क्योंकि आज नहीं तो कल नए 2000 के नोट के भी नकली रूप बाजार में आ जायेंगे, कुछ समय बाद फिर से करोड़ों का कालाधन जमा हो जायेगा, इसलिए इसका एक ही इलाज है वो है कैशलेस इंडिया को बनाना। अगर नोट ही नहीं रहेंगे तो कालाधन और नकली नोट का कारोबार पूरी तरह से खत्म हो जायेगा। लेकिन कैशलेस देश का निर्माण करना भी आसान काम नहीं क्योंकि 125 करोड की आबादी वाले भारत में करोड़ों लोग ऐसे है जो पढ़े-लिखे नहीं है, हजारों गाऊं ऐसे है जहाँ एटीएम तो क्या एक डाक घर भी नहीं है तो ऐसे देश को कैशलेस बनाना अपने आप में बेहद मुश्किल है, लेकिन सरकार ने एक कदम तो उठाया है अभी बहुत कुछ करना बाकी है। भारतीय सरकार को ये समझना होगा की नोटबंदी से कुछ ज़्यादा असर नहीं होगा, कालेधन को खत्म करने के लिए सिर्फ एक ही तरीका है, वो है कैशलेस इंडिया का निर्माण।
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