Saturday, 19 November 2016

इंसान ही इंसान का नहीं...

इस दुनिया को बनाने वाले उस परमात्मा ने जब हम इंसानों को बनाया तो हमारे अंदर बहुत सी भावनाएं भी डाली ताकि हम इंसान कहलाये। गुस्सा,हँसना, रोना और अच्छे-बुरे की पहचान दी उसने, उसे ये लगा की इतना मॉडिफाई करके शायद ये इंसान अपने अंदर छुपे इंसानियत की महत्वता जान सके, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, आज इंसान जा सबसे बड़ा दुश्मन खुद एक इंसान है. गलत राह पर चलने वाला एक इंसान है और दुनिया में आतंकवाद को फैलाने वाला भी एक इंसान ही है . मतलब आज इंसान ही इंसान का नहीं है तो हम भगवन, किस्मत या कुदरत के भरोसे क्यों है?
             कभी सड़क किनारे एक छोटे बच्चे को भीख मांगते हुए देखा है, उसे 1 रुपए मिल जाये तो उनके चेहरे पर जो ख़ुशी होती है वो कोई बयां नहीं कर सकता और उसकी जगह अगर किसी आम इंसान को हजारों रुपए मिले तो वो लाखों पाने के सपने देखता है, लाखों मिल जाये तो करोड़ों के लिए तड़पता है। आज ये दुनिया बहुत बुरी हो चुकी है यहाँ सिर्फ आपका बैंक बैलेंस की इज्जत है न की आपके स्वभाव की, अगर आपके पास लाखों-करोड़ों है तो दुनिया आपको सलाम करेगी, आपके पीछे रहेगी लेकिन आपके पास कुछ नहीं तो "चल साइड में होजा".. किसी के लिए अच्छा करो तो खुद का ही नुक्सान होता है ये बात तो शायद हर किसी को पता होगी, एक इंसान जो गुरु के रूप में कुछ सिखाता है, हमे काबिल बनाता है उसी का विरोध करने पर आज हमारे हाथ नहीं कांपते, ये हमारे लिए छोटी सी बात है लेकिन उस इंसान से पूछिये की उसे कैसा लगा जब उसी के शिष्य उनके खिलाफ खड़े हो. उनकी सालों की मेहनत पर एक पल में पानी फिर गया लेकिन नुक्सान कभी गुरु न नहीं होता. इसी तरह आज एक भाई अपने ही भाई का नहीं हो पा रहा है क्योंकि मन में लालच और गलत फेमियां ने अच्छी-खासी जग़ह बना रखी है. हम सबको बनने वाला ईश्वर बहुत ही दिमागदार है, हम सबसे तेज़ और भुद्दिमान , उसे पता था कि अगर मैं सबको एक समान बनाऊंगा तो कोई मुझे नहीं पूछेगा न ही इस धरती पर किसी को किसी की फ़िक्र होगी इसलिए उसने सबको दो आँखे,दो कान,एक नाक,दो हाथ, एक दिल दिए लेकिन फिर भी सबको एक दूसरे से बहुत अलग बनाया. मेरा तो अब ये मानना है कि सिर्फ उनकी मदद करनी चाहिए जिन्हें सच में मदद की जरूरत है वरना यहाँ ढोंगी लोग बहुत है, एक दिन में 5 बार बड़ों के पैर छूते है लेकिन पीठ पीछे उन्ही के पैर पर कील बिछाते है. लेकिन ऐसे लोगों को कुछ हासिल नहीं होता वक़्त सब हिसाब बराबर करता है.

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