Monday, 21 November 2016

हादसों से कब सीखेगा भारत?

हम रोजाना हादसों की खबर सुनते है, कहीं सड़क हादसा तो कहीं रेल हादसा लेकिन इन्हें रोकने के लिए कोई कदम उठाये गये है..ये हम कभी नहीं सुनते। हमारे देश में रोजाना बहुत से सड़क हादसे होते है , हर साल लगभग 10 लाख लोग अलग-अलग हादसों में अपनी जिंदगियां खो देते है, सरकार मरहम के रूप में कुछ मुआवजा दे देती है लेकिन इन हादसों को हर बार रोकने में असमर्थ दिखती है। 
         ताज़ा मामला इंदौर-पटना रेल हादसे का है जिसमे लगभग 70 जिंदगियां एक पल में खत्म हो गयी, बताया गया कि रेल की 14 बोगियां पटरी से उतर गयी और ये भयानक हादसा हो गया. इतना बड़ा हादसा ऐसे कैसे हो सकता है जबकि सरकार ये दावा रहता है कि देश की हालत बिलकुल आधुनिक है, यानि की ट्रेन से लेकर पटरी तक सब कुछ सही है तो फिर ऐसे हादसे क्यों होते है? ये पहली बार नहीं हुआ इससे पहले भी कई बार ऐसे हादसों से लोग का सामना हुआ है जिसमे बहुत जान-माल का नुक्सान हुआ है, लेकिन फिर भी हम ऐसे हादसों से सबक नहीं लेते क्योंकि इस देश में आधे से ज्यादा काम भगवन भरोसे रखे जाते है। रोजाना सड़क हादसों में भी हजारों लोग मौत के आगे दम तोड़ देते है, सड़क हादसों का असली करण यहाँ की सड़कों की हालत है, जैसी सड़के हमारे देश में है ऐसे शायद भी और देश में कहीं हो. लेकिन ऐसा नहीं है कि यहाँ का प्रशाशन चुस्त नाजी है, हमेसा देखा होगा की जब कोई नामी मंत्री किसी शहर के दौरे पर जाता है तो मंत्री के आने से कई हफ्ते पहले से ही सड़कों को चमकाना शुरू कर देते है. जिस सड़क पर गड्डों का मेला हुआ करता था वो सड़क नई-नवेली दुल्हन की तरह सज जाती है और जिस दिन मंत्री साहेब पहुँचते है उस दिन सड़क नए रूप में दिखाई देती है. लेकिन ये चमत्कार सिर्फ वहां होता है जहाँ कोई बड़ा नेता आने वाला हो वरना छोटे-मोटे नेताओं के लिए सिर्फ तालियाँ ही बहुत होती है। ये हमारे देश का दुर्भायग है कि आज़ादी के इतने साल बाद भी यहाँ की असल तस्वीर नहीं बदल सकी है, कुछ दिन पहले जापान के एक शहर में 50 मीटर हाईवे 15 फ़ीट तक धस गया था लेकिन वहां के प्रशाशन और लोगों ने उस 50 मीटर गड्ढे को सिर्फ 48 घण्टों में भर दिया और 7 दिनों में वो सड़क पहले से भी मजबूत और सूंदर बना दी गई. ऐसा ही एक मामला हमारे देश की राजधानी दिल्ली में कुछ महीने पहले हुआ जहाँ पर एक सड़क 20 मीटर धस गयी थी लेकिन वो सड़क अभी तक नहीं बन सकी, ये बहुत बड़ा फर्क है जापान के प्रशाशन में और हमारे देश की सरकार में, वो लोग हादसों से सबक लेना जानते है इसलिए वो परमाणु बम और सुनामी जैसे त्रासदियों से उभर पाया है उसकी जगह भारत होता तो अभी न जाने यहाँ की क्या तस्वीर होती.
        भारत एक ऐसा देश है जो लगातार प्रगति कर रहा है लेकिन लगातार हो रहे हादसों से देश पीछे खिसकता है, इसलिए सरकार और प्रशाशन को चाहिए की इन हादसों को गंभीरता से ले, इनसे सबक ले ताकि फिर से कोई सड़क हादसा न हो, न ही कोई ट्रैन पटरी से उतरे ।

                     

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