Thursday, 3 November 2016

शहीदों के परिवार के लिए एक कदम...

हमारे देश की रक्षा करना हमारे सैनिकों का काम है, ये बात हम सब जानते है लेकिन वही सैनिक जब बॉर्डर पे आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो जाता है तो उसके परिवार की रक्षा करना, उनका साथ देना ये किसका काम है? हम सब अपनी अपनी जिंदगियों में मस्त है इसलिए हमें उनके परिवार का ख्याल तक नहीं आता जिन्होंने अपनों को देश के लिए कुर्बान कर दिया. इस वक़्त पूरा देश त्योहारों को मना रहा है, धनतेरस, दीवाली और फिर नया साल लेकिन कभी मन में ख्याल आया है कि वो परिवार किस स्तिथि से गुजर रहा होगा जिनका बेटा, पिता या भाई देश की सुरक्षा करते करते देश पे मर मिटा है. क्या उनके लिए अब कोई त्यौहार मायने रखेगा? कोई खुशियां उनके घर की देहलीज़ तक पहुचेंगी? शायद ये ख्याल कभी मन में पैदा ही न हुआ हो. 
                आज देश में आतंकी गतिविधियां बेहद बड़ चुकी है, सैनिकों के ठिकानों पर हमले हुए जा रहे है जिसमे हमारे वीर जवान उनकी गोलियों को झेल रहे है. आज मीडिया भी उन जवानों के शौर्य की कहानियाँ टेलीविज़न पर दिखा रही है ताकि उन शहीदों के परिवार तक हमारी सरकार का ध्यान पहुँचे लेकिन सच्चाई ये है कि जब तक अख़बारों और टेलीविज़न में जवानों के बारे में बताया जाता है सिर्फ तब तक ही कोई इनके लिए सोचता है क्योंकि दो दिन बाद तो हर कोई भूल जाता है कि कोई जवान हमारे लिए, हमारे देश के लिए शहीद हुआ है. जिनके घर का बेटा या पिता,भाई कोई भी देश के लिए शहीद होता है उनके परिवार के लिए कोई सामने नहीं आता, कुछ परिवारों को छोड़ दे तो लगभग हर बार ऐसा ही देखा गया है कि शहीदों के परिवार को बहुत मुश्किल परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है, यहाँ तक की उनके हर छोटी छोटी चीजों के लिए जूझना पड़ता है. जब जवान शहीद होता है तो सरकार वादे कर देती है, कुछ समाज सेवा से जुड़े संगठन भी सामने आते है लेकिन कुछ समय बाद ही सब कुछ ठंडा पड़ जाता है. ऐसा आखिर हमारे ही देश में क्यों होता है कि जो हमारे देश के लिए शहीद हुआ हम उसी के परिवार को सहारा नहीं दे सकते, इस वक़्त हमारे देश की जन संख्या 130 करोड़ है, अगर हर व्यक्ति सिर्फ एक - एक रुपए भी दे तो कुल 130 करोड़ रुपए हम शहीदों के परिवार के लिए खर्च कर सकते है, लेकिन हमसे इतना भी नहीं होता. हम सिर्फ एक दो दिन तक उन्हें याद करते है उसके बाद अपने अपने काम-धंदे पर लग जाते है, मेरा मानना है कि गलती सरकार और हमारे सिस्टम के साथ साथ हम लोगों की भी है जो उनके दर्द को महसूस नहीं कर पाते, हमारे समाज में ही हजारों ऐसे लोग है जिनके पास पैसों की कोई कमी नहीं है, अरे..! थोड़ी मदद उनके परिवारों की आप लोग ही कर दो क्योंकि हमारे देश का सिस्टम तो पूरा ही खराब है लेकिन आप तो अच्छे है, लोगों का दुःख-दर्द समझ सकते हो . आप लोग जैसे कुछ लोग अगर सामने आ जाये तो शहीदों के परिवार को कभी किसी मुसीबत का सामना न करना पड़े. वैसे भी ये हमारा कर्तव्य होना चाहिए की शहीदों के परिवार की सहायता कर क्योंकि वो शहीद हुए है हमारे लिए, हम सबके लिए. आज बहुत से ऐसे परिवार है जिन्होंने अपना सब कुछ खो दिया है सिर्फ हमारे देश के लिए तो अब हमारी बारी है उनके लिए कुछ करने की, ज्यादा नहीं थोड़ा-थोड़ा हर कोई साथ दे तो शहीद का परिवार शायद कठिन परिस्थियों से बाहर निकल सके।
          

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