Tuesday, 25 October 2016

फिर लौट आई चार धाम यात्रा...

उत्तराखंड में 2013 की वो आपदा कौन भूल सकता है, उसके जख्म आज भी लाखों लोगों के जहन पे मौजूद है. शायद ही किसी ने सोचा होगा की उस जख्म पर मरहम का काम 2016 की चार धाम यात्रा करेगी क्योंकि इस साल ये यात्रा पिछले कई सालों के मुकाबले बेहतर रही. इस साल चारो धामों यमनोत्री,गंगोत्री,केदारनाथ और बद्रीनाथ में श्रद्धालुयों की अच्छी-ख़ासी भीड़ देखने को मिली जिससे उत्तराखंड के पर्यटन पर भी अच्छा असर पड़ा और नतीजा ये रहा की जो पर्यटन लगभग पटरी से उतरता दिख रहा था एक बार फिर पटरी पर वापस लौट आया है.
                   17-18 जून, 2013 ये वो दिन है जो उत्तराखंड के लिए काला दिन साबित हुए, इन दो दिनों में बरसात के कारण उत्तराखंड के केदारघाटी में जो तबाही हुयी वो बेहद भयानक थी. जोरदार बारिश के कारण केदारघाटी में बादल फटा जिससे वहां मौजूद हजारों श्रद्धालुयों की जिंदगी छिन गयी. केदारघाटी में मुख्य मंदिर को छोड़कर सब कुछ तबाह हो गया, उसके बाद 2 साल तक इसका असर चार धाम यात्रा पर पड़ा. जिस यात्रा में हर साल लाखों श्रद्धालु आते थे,आपदा के डर से उनकी संख्ता बहुत नीचे पहुँच गयी, ऐसे में 2016 की यात्रा एक नई उम्मीद और आस्था का सैलाब लेकर आई . 2016 की चार धाम यात्रा में अभी तक 14 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री दर्शन कर चुके है और ये आंकड़ा अभी भी बड़ रहा है। उत्तराखंड में पर्यटन की दृष्टि से ये बेहद अच्छी खबर है क्योंकि उत्तराखंड में चार धाम यात्रा का विशेष महत्व है. सरकार के बहुमूल्य प्रयास और स्थानीय लोगों के प्रचार-प्रसार की बदौलत एक बार फिर चार धाम यात्रा श्रद्धालुयों को अपनी और खीचने में कामयाब हुई और डूबते पर्यटन को एक बार फिर सहारा दिया। पहाड़ों पे लगातार हो रहे पलायन को रोकने के लिए भी ऐसी यात्रा की हमे सख्त जरुरत थी क्योंकि पहाड़ों पर रोजगार न होने के कारण, लोग पहाड़ छोड़ने पर मजबूर हो रहे थे, न दुकानदारी चल रही थी न ही कमाई का कोई साधन मिल रहा था ऐसे में चार धाम यात्रा की वजय से पहाड़ों तक एक बार फिर रोजगार पहुँचा, और दुकानदारों, व्यापारियों के चेहरों पर खुशी देखने को मिली। बरसात तक लाखों श्रद्धालुयों के चारो धामों के दर्शन किए और बरसात के बाद एक बार फिर यात्रियों के आने का सिलसिला जारी है, अब चार धाम यात्रा बंद होने में कुछ ही दिन बचे है लेकिन 2016 की इस यात्रा ने 2013 के जख्म पर मरहम का काम किया है, हम यूँ भी कह सकते है कि आपदा के बाद एक बार फिर चार धाम यात्रा लौट आई .

No comments:

Post a Comment