Saturday, 1 October 2016

उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर..

उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जिसमें बहुत सी सांस्कृतिक विरासत मौजूद है,उत्तराखण्ड जिसे 2006 तक उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण 9 नवम्बर 2000 में हुआ। जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। सन 2000 में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। इस राज्य में हिन्दू धर्म की सबसे धार्मिक और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल है, तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। हर राज्य की अपनी कुछ ख़ास संस्कृति होती है ठीक इसी तरह हमारे उत्तराखंड में भी बहुत सी संस्कृतियां विराजमान है जो की उत्तराखंड को सबसे अलग और ख़ास देवभूमि बनाती है। 


        उत्तराखंड को ईश्वर की धरती या देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ हिंदुओं की आस्था के प्रतीक चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री स्थित हैं। उत्तर भारत का ये राज्य गंगा और यमुना समेत देश की प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल भी है जिसे गंगोत्री और यमनोत्री के नाम से जाना जाता है।भगवान शिव के और अनेक पवित्र मंदिरों के कारण उत्तराखंड हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थानों में गिना जाता है। बद्रीनाथ और केदारनाथ, दो ऐसे तीर्थस्थल हैं, जो यहां सदियों पहले से हैं। बद्रीनाथ चार धामों में से एक है और सबसे पवित्र स्थलों में से भी एक है। केदारनाथ भी बद्रीनाथ जितना ही पवित्र और दर्शनीय स्थल है,यहां प्राचीन शिव मंदिर है, जहां 12 ज्योर्तिलिंग में से एक शिवलिंग विराजमान हैं। गंगोत्री धरती का वह स्थान है, जिसे माना जाता है कि गंगा ने सबसे पहले छुआ। देवी गंगा यहां एक नदी के रूप में आई थीं। यमुनोत्री यमुना नदी का स्रोत है और इसके पश्चिम में पवित्र मंदिर है।उत्तराखंड आज लगातार बाकी राज्यों की तरह विकास की और बड़ रहा है जिसमे सरकार भी बेहद सहायता कर रही है। उत्तराखंड में तमाम बड़े मंदिर और धार्मिक स्थल है जिसमे हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमनोत्री, गंगोत्री, हेमकुंड साहिब और तुंगनाथ बेहद ख़ास है। रोजाना हजारों-लाखों की संख्या में तीर्थयात्री इस धार्मिक स्थलों के दर्शन हेतु उत्तराखंड का रुख करते है। इसके साथ साथ यहाँ बहुत से पर्यटक स्थल जैसे की औली, नैनीताल, फूलों की घाटी,मसूरी स्तिथ है।इसके अलावा ऋषिकेश को सभी पवित्र स्थानों के लिए प्रवेश द्वार है।उत्तराखंड की संस्कृति का हर कोई दीवाना है,यहाँ का रहन-सहन,पहनावा, खाना-पीना सब कुछ एक अलग की खुसी का एहसास दिलाता है।    उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊं दोनों क्षेत्रों के अलग-अलग खाद्य पदार्थों की बड़ी विविधता है, जो किसी को भी अपना मुरीद बना सकती है। उत्तराखंड में स्थानीय साग-पत्ते और मसाले का मिश्रण खाने का स्वाद और बढ़ा देते हैं यहां मठरी और तिल लड्‌डू, मडुआ रोटी, उड़द के पकौड़े, भांगजीरा की चटनी, आलू के गुटके,सिंगोडी, सिनसुक साग, झिंगारा की खीर, कापा की दाल और सिंघल सबसे स्वादिष्ट तरीके से बनाया जाता है और ये ही यहाँ की पहचान भी है।
             उत्तराखंड अपनी संस्कृति को हमेसा अपनाते आया है,जहाँ पूरा देश पश्चमी संस्कृति की और आकर्षित होता दिख रहा है तो वहीँ आज भी उत्तराखंड में उसकी संस्कृति बसी है यहाँ के लोग अपनी संस्कृति को आज भी उसी तरह के उत्साह से अपनाते है जैसे पहले अपनाते थे। सरकार भी अब उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए गम्भीरता से काम कर रही है,सरकार द्वारा उत्तराखंड की संस्कृति का प्रचार प्रसार किया जा रहा है और यहाँ के धार्मिक स्थलों पर ख़ासा ध्यान रखा जा रहा है। एक कदम हमे भी उठाना है कि हम अपनी संस्कृति को खोने न दे उत्तराखंड की संस्कृति ही इसकी पहचान है।

1 comment:

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