Sunday, 30 October 2016

बिन दिये कैसी दीवाली?

एक जमाना था जब दीपावली में हर घर पे मिट्टी के दिये लगाये जाते थे, घर का आँगन हो या छत हर जगह पर दिये जलाके रखने में पूरा घर ही रोशन हो जाया करता था लेकिन अब वो दिये कहीं ग़ुम से हो चुके है. आधुनिक लाइट्स की चकाचोंग में उन दियो की रोनक अब कम लगने लगी है यही कारण है कि अब दीपावली की पहचान माने जाने वाले दिये अब खत्म की कगार पर पहुँच गये है.
         आज बाज़ारों में अलग अलग तरह की लड़ियाँ,चमकीले बल्ब और सजावट के तमाम समान आ चुके है ऐसे में लोगों के सामने बहुत से विकल्प है तो उनका ध्यान मिट्टी के दियो की तरफ़ जाता ही नहीं क्योंकि वक़्त के साथ साथ अब सजावट के तरीके भी बदल रहे है. लेकिन कभी सोचा है कि उन लोगों के लिए दीपावली कैसे रहेगी जो मिट्टी के दीये बेचकर अपनी दीपावली मनाते है? शायद हमारी वजय से उनकी दीपावली में रोनक नहीं होती, होगी भी कैसे क्योंकि हम उनकी मेहनत को नजरअंदाज करके महँगी और चमकदार लड़ियाँ को खरीद रहे है. हमे ये नहीं भूलना चाहिए की दीपावली का मतलब घर को रोशन करना नहीं बल्कि जरूरतमंद लोगों की जिंदगी में ख़ुशी देना है या यूँ कहे की किसी इंसान के घर पे आपकी वजय से ख़ुशी आये तो मतलब आपकी दीपावली सफल रही है. आज पूरा देश चीनी लड़ियों और पटाखों का बहिष्कार कर रहा है हर तरफ इन समानो पे रोक लगायी जा रही है लेकिन कोई ये नहीं बोल रहा है कि इस दीपावली में मिट्टी के दियो का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करे. यही तो हमारी कमी है कि हम हर बात को सिर्फ एक तरफ से सोचते है , मेरा मानना है कि इस दीपावली उन लाखों लोगों को खुश करते है जो मिट्टी के दिये बेचते है , हमारी ख़रीदारी से उनकी दीपावली बहुत अच्छी गुज़रेगी और उनके चेहरे पर जो ख़ुशी होगी वो आपको जिंदगी भर याद रहेगी और जब भी आप उन्हें याद करोगे खुद पर गर्व महसूस करने पर मजबूर हो जाओगे। मिट्टी से दीये को बनाना भी एक कला है इस कला की इज्जत करनी चाहिए, इस दीपावली हम चीनी समानों से तौबा कर रहे है, तो हमे एक कदम और उठाना चाहिए की लुप्त हो रही दिये की प्रथा को फिर से उठाया जाये।
        दीपावली खुशियों का त्यौहार है सिर्फ अपने घर की ख़ुशी या अपनों की ख़ुशी के लिए इसे मनाने से अच्छा है कि हम सब दूसरों के चहरे पर खुशी लेकर आए, इस दीपावली मिट्टी के दीये घर लायें।

Thursday, 27 October 2016

डर के साये में जिंदगी..

जरा सोचिए आप अपनी फैमिली के साथ आराम से घर पे सोये हुए है, तभी अचानक बम का एक गोला आपके छत पे गिरे और धड़ाम से फूट जाये तो उस वक़्त आप क्या करेंगे?क्या सोचेंगे?किस तरह परिवार को बचाएंगे? सोचने में ही डर लग रहा है तो जरा सोचिए कि उन लोगों की जिंदगी कैसी चल रही होगी जो रोजाना बॉर्डर पे इस तरह के डर में जी रहे है. हम सब अपने अपने घरों में आराम से खा-पी रहे है तो वहीँ दूसरी तरफ बॉर्डर पे रह रहे हजारों लोगों की जिंदगी पे लगातार मौत का खतरा बना हुआ है और वो खतरा है आतंकवाद.
 सर्जीकल स्ट्राइक के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है जिसकी वजय से वो लगातार भारतीय सेना और बॉर्डर से सटे गाऊं को अपना निशाना बना रहा है. पाकिस्तान की हरकतों की वजय से घाटी में तनाव तो बना ही हुआ है उसके साथ साथ बॉर्डर में रह रहे लोगों को डर के साये में जीना पड़ रहा है. हिंदुस्तान की तरफ से हुयी सर्जीकल स्ट्राइक को पाकिस्तान पचा नहीं पा रहा है यही कारण है कि सर्जीकल स्ट्राइक के बाद से अभी तक 40 बार पाकिस्तान सैनिकों द्वारा सीज़फायर का उलंघन किया गया है. अब पाकिस्तान ने आतंकवाद फैलाने के लिए बॉर्डर पे रह रहे लोगों और स्कूली बच्चों को निशाना बना रहे है, पाकिस्तान की तरफ से अभी तक बम धमाकों में 3 महीनों में बॉर्डर के 19 स्कूल तबाह हो चुके है जिसके चलते हजारों बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है और अब वो बच्चे घर पर ही पढ़ने को मजबूर है. घाटी में जिस तरह तनाव चल रहा है उससे हर कोई परेशान है खासकर स्कूली बच्चे क्योंकि पाकिस्तान अब स्कूल के आसपास धमाके कर रहा है ताकि बच्चे डर जाये और स्कूल न जा सके. घाटी में आलम ये है कि आतंकवादी पुलिस वालों के हथियार छीन कर भाग रहे है मगर पुलिस बल कुछ नहीं कर पा रही है, आतंकवादियों को किसी का ख़ौफ़ नहीं है. एक तरह पूरा देश त्यौहारों में व्यस्त है तो वहीँ बॉर्डर पे बेस गाऊं में अभी भी सन्नाटा पसरा हुआ है, वहां पटाखों के बदले गोला-बारूद के फटने की आवाज़ें सुनाई दे रही है. रोजाना कई बार बॉर्डर पे पाकिस्तान द्वारा गोलियां बरसाई जाती है जिसमे बहुत से बेकसूर लोग घायल हो रहे है अब हमारी सरकार को भी उन तमाम लोगों के लिए कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए वरना वहां लोग यूँ ही मरते रहेंगे और बाकि लोग पलायन का रास्ता अपनाएंगे .

Tuesday, 25 October 2016

फिर लौट आई चार धाम यात्रा...

उत्तराखंड में 2013 की वो आपदा कौन भूल सकता है, उसके जख्म आज भी लाखों लोगों के जहन पे मौजूद है. शायद ही किसी ने सोचा होगा की उस जख्म पर मरहम का काम 2016 की चार धाम यात्रा करेगी क्योंकि इस साल ये यात्रा पिछले कई सालों के मुकाबले बेहतर रही. इस साल चारो धामों यमनोत्री,गंगोत्री,केदारनाथ और बद्रीनाथ में श्रद्धालुयों की अच्छी-ख़ासी भीड़ देखने को मिली जिससे उत्तराखंड के पर्यटन पर भी अच्छा असर पड़ा और नतीजा ये रहा की जो पर्यटन लगभग पटरी से उतरता दिख रहा था एक बार फिर पटरी पर वापस लौट आया है.
                   17-18 जून, 2013 ये वो दिन है जो उत्तराखंड के लिए काला दिन साबित हुए, इन दो दिनों में बरसात के कारण उत्तराखंड के केदारघाटी में जो तबाही हुयी वो बेहद भयानक थी. जोरदार बारिश के कारण केदारघाटी में बादल फटा जिससे वहां मौजूद हजारों श्रद्धालुयों की जिंदगी छिन गयी. केदारघाटी में मुख्य मंदिर को छोड़कर सब कुछ तबाह हो गया, उसके बाद 2 साल तक इसका असर चार धाम यात्रा पर पड़ा. जिस यात्रा में हर साल लाखों श्रद्धालु आते थे,आपदा के डर से उनकी संख्ता बहुत नीचे पहुँच गयी, ऐसे में 2016 की यात्रा एक नई उम्मीद और आस्था का सैलाब लेकर आई . 2016 की चार धाम यात्रा में अभी तक 14 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री दर्शन कर चुके है और ये आंकड़ा अभी भी बड़ रहा है। उत्तराखंड में पर्यटन की दृष्टि से ये बेहद अच्छी खबर है क्योंकि उत्तराखंड में चार धाम यात्रा का विशेष महत्व है. सरकार के बहुमूल्य प्रयास और स्थानीय लोगों के प्रचार-प्रसार की बदौलत एक बार फिर चार धाम यात्रा श्रद्धालुयों को अपनी और खीचने में कामयाब हुई और डूबते पर्यटन को एक बार फिर सहारा दिया। पहाड़ों पे लगातार हो रहे पलायन को रोकने के लिए भी ऐसी यात्रा की हमे सख्त जरुरत थी क्योंकि पहाड़ों पर रोजगार न होने के कारण, लोग पहाड़ छोड़ने पर मजबूर हो रहे थे, न दुकानदारी चल रही थी न ही कमाई का कोई साधन मिल रहा था ऐसे में चार धाम यात्रा की वजय से पहाड़ों तक एक बार फिर रोजगार पहुँचा, और दुकानदारों, व्यापारियों के चेहरों पर खुशी देखने को मिली। बरसात तक लाखों श्रद्धालुयों के चारो धामों के दर्शन किए और बरसात के बाद एक बार फिर यात्रियों के आने का सिलसिला जारी है, अब चार धाम यात्रा बंद होने में कुछ ही दिन बचे है लेकिन 2016 की इस यात्रा ने 2013 के जख्म पर मरहम का काम किया है, हम यूँ भी कह सकते है कि आपदा के बाद एक बार फिर चार धाम यात्रा लौट आई .

Saturday, 22 October 2016

फिर कुल्हाड़ी पर पैर मार रहा पाकिस्तान..

पाकिस्तान इस वक़्त दिमाग से कुछ काम नही कर रहा है,वो बस हर तरह से भारत को नुक्सान पहुँचना जानता है चाहे इसके लिए उसे अपने ही मुल्क के लोगों से लड़ना पड़े. अब उसने फिर एक ऐसा कदम उठा लिया है जिससे उसे ही नुक्सान झेलना पड़ सकता है, भारत से नाराज़गी इस क़दर है की पाकिस्तान सरकार ने अब पाकिस्तान में हर भारतीय चैनेल के प्रसारण पर रोक लगा दी है और अगर कोई ब्रॉडकास्टिंग कंपनी इसका उलंघन करती पाई जाती है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जायेगी। 
          इन दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है, ऐसे मैं पाकिस्तान हर तरीका अपनाने की कोशिश कर रहा है जिससे भारत को कोई न कोई नुक्सान हो लेकिन ये कदम पाकिस्तान को ही भारी पड़ सकता है क्योंकि 20 करोड़ की जनसंख्या वाले पाकिस्तान मैं हर कोई हिन्दुस्तानी फिल्मों और सीरियल्स का दीवाना है. पाकिस्तान में अभी तक रोजाना सिर्फ 3 घंटे ही विदेसी कार्यक्रमों को दिए जाते थे लेकिन भारतीय फिल्मों ओर नाटकों की लोकप्रियता को देखते हुए पाकिस्तान में भारत के सीरियल्स का रिपीट टैलीकास्ट किया जाता है यानी की पाकिस्तान की आवाम को हिन्दुस्तानी सीरियल्स काफ़ी पसंद है तो अब पाकिस्तानी सरकार वहां की आवाम से कैसे समझोता करता है ये जल्द ही पता चल जायेगा.अब बात करे फिल्मों की तो बात हैरान करने वाली है कि पाकिस्तान मैं सबसे ज्यादा भारतीय फिल्में दिखाई जाती है ओर वहां इन्हें बहुत सराया जाता है। पाकिस्तान में मनोरंजन का 75 प्रतिशत कारोबार भारतीय फिल्मों की वजय से होता है बाकी 25 प्रतिशत पाकिस्तानी फिल्मों का होता है. आंकड़ों की तरफ देखे तो एक सिनेमाघर का मालिक अगर 100 रुपए कमाता है तो उसमें से 75 से 80 रुपए भारतीय फिल्मों की बिक्री की वजय से होता है। पाकिस्तान की अभी तक की सबसे कमाई वाली फिल्म ने पहले दिन मैं 1.6करोड़ का करोबार किया था, जबकि सलमान खान की सुल्तान ने पाकिस्तान मैं पहले दिन 3.4 करोड़ का करोबार किया, आंकड़े भी यही बयां कर रहे है की पाकिस्तान में भारतीय फिल्में ओर सरीअलस कितने लोकप्रिय है. पाकिस्तान से बहुत से कलाकार भारत मैं आकर बॉलीवुड मैं अपनी किस्मत आजमाते है, यहां जब उन्हें काम मिलता है वो तब पाकिस्तान में उन्हें जाना जाता है.
       पाकिस्तान की जनता भारतीय गानों की भी बहुत शौकीन है और वहां के बच्चों में "छोटा भीम" बहुत लोकप्रिय है, अगर पाकिस्तान भारत से इन चीजों को बंद करके बदला लेने जा रहा है तो पाकिस्तान को एक बार फिर सोचना चाहिए क्योंकि कहीं न कहीं वो अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार रहा है जिसमे नुकसान सिर्फ पाकिस्तान का ही होगा।

Wednesday, 19 October 2016

इस दिवाली "नो चीनी"

हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच वैसे ही तनाव चलता आया है,ऊपर से चीन का पाकिस्तान को समर्थन देना हिंदुस्तान की जनता को इस कदर चुबा की अब बात चाइनीज़ समान के बहिष्कार तक पहुँच चुकी है. इन दिनों भारत में त्योहारों का सीजन है ऐसे में चीन का बहुत सारा समान भारतीय बाज़ारों की रौनक बड़ाता आया है लेकिन इस बार देश में हर तरफ चीन के समान का बहिस्कार दिखाई दे रहा है और हो भी क्यों न क्योंकि आतंकवाद की फैक्ट्री माने जाने वाली पाकिस्तान को चीन का साथ मिल रहा है ऐसे में 125 करोड भारतियों का गुस्सा निकलना लाज़मी है.

भारत और चीन काफी समय से व्यापार करते आये है, इन दोनों देशों के बीच व्यापारिक दोस्ती काफी अच्छी है जिसका दोनों देशों को बहुत फायदा मिलता आया है। आंकड़ों की तरफ देखे तो हर साल भारत और चीन के बीच 70 अरब डॉलर का व्यापार होता है, बाकी देशों के मुकाबले चीन के साथ व्यापार करने में भारत को 6 गुना ज्यादा फायदा पहुँचता है. ऐसे में अब चीन के बने सामानों का बहिष्कार करना कहीं भारत की आर्थिकी पे बुरा असर न डाल दे. पाकिस्तान का साथ देने पर भारतियों पर काफ़ी आक्रोश देखा जा रहा है यही कारण है कि इस बार दिवाली जैसे त्यौहार पर हर तरफ चीन के समान की बिक्री पर रोक लगाने की मांग उठती जा रही है. दिवाली के समय पर भारतीय बाजारों में चीन की लड़ियाँ, लाइट्स, सजावट के समान और पटाखों का ज्यादा बोलबाला रहता है क्योंकि चीन के इन समानों की क़ीमत थोड़ी सस्ती होती है ऐसे में ये समान यहाँ बहुत चलते है और इनकी काफी मांग रहती है लेकिन इस बार दिवाली में चीन की लड़ियाँ और पटाखों पर प्रतिबंद लगाया गया है अब देखने लायक होगा की भारतीय बाजार पर इस कदम का कितना असर होता है. हमारे देश में चीन का व्यापार बहुत बड़ा है, पिछले 10 सालों में यहाँ चीन की बहुत सी मोबाइल कंपनियां,टेलिकॉम इंडस्ट्रीज़ और मेडिकल कंपनियां अपने पैर जमा चुकी है. 70 अरब डॉलर हर साल।
इसके अलावा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स और रियल इस्टेट में भी चीन भारत पे करोड़ों निवेश करता है. इन दिनों चाइनीज मोबाइल कंपनियों ने हिंदुस्तान पर काफी मुनाफ़ा कमाया है, आज हिंदुस्तान में चीन की 25 मोबाइल कंपनियां है जो की भारतीय बाजार में काफी अच्छा कमा रही है. इके बात तो साफ़ है कि हिंदुस्तान और चीन के बीच में जो व्यापारिक दोस्ती है इसका फायदा दोनों देशों को है, और अगर हिंदुस्तान में लोग चीन की लड़ियाँ, लाइट्स और पटाखों पर रोक भी लगाते है तो इससे चीन के उच्च व्यापार पे कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि पटाखों और लाइट्स के अलावा भी भारत में चीन की मेडिकल,टेलिकॉम और इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री का बहुत बड़ा काम है.
       हमारी तरफ से ज्यादा न सही लेकिन एक कदम तो उठाया गया है जिससे शायद चीन को इस बात का ऐहसास हो जाये की पाकिस्तान का समर्थन करना उनके लिए कोई फायदा का सौदा नहीं है. लेकिन सच्चई ये भी है कि इससे भारत को भी कोई ज्यादा फायदा नहीं होगा .

Monday, 17 October 2016

आजकल सबकुछ ऑनलाइन..

पिछले 5-6 सालों में ख़रीदारी करने का स्वरूप बिलकुल ही बदल गया है, कभी बाज़ार में जाकर दिन भर 15-20 दुकानों में अच्छे से जांच परखकर समान लेते हुए लोग दिखते थे लेकिन आज सबकुछ ऑनलाइन हो चूका है। ऑनलाइन शॉपिंग का मतलब है घर बैठे इंटरनेट के जरिए समान को ऑर्डर करना। 
          ऑनलाइन शॉपिंग का प्रचलन सन 1990 से शुरू हुआ तब ये इतना ज़्यादा फायेदेमंद साबित नहीं हो पाया था लेकिन इंटरनेट की जबरदस्त मांग और बढ़ोतरी के चलते 2000 तक ऑनलाइन शॉपिंग का ग्राफ़ ऊपर बढ़ता गया और आज ऑनलाइन शॉपिंग से हर कोई जुड़ा है। आज बहुत सी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी, जैसे स्नैपडील, फ्लिपकार्ट, ईबे लोगों के लिए आ चुकी है जो हर वक़्त उपभोगतायों को आकर्षित करती है। ख़ासकर आजकल क्योंकि इनदिनों त्योहारों का समय में ऐसे में ऑनलाइन कंपनियां लगातार आकर्षक डिस्काउंट के साथ समान बेच रही है और ग्राहक भी इनको काफी हद तक पसन्द करते है। इन दिनों दिवाली सेल का बोलबाला है, दिवाली भारत की सबसे ख़ास त्याहारों में से एक है ऐसे में लोग भी इस त्यौहार को यादगार बनाने के लिए बहुत सी शॉपिंग किया करते है चाहे कपड़े लेने हो या घर का कोई समान इससे अच्छा मौका लोगों के पास नहीं होता यही कारण है कि हर ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी अपने ग्राहकों के लिए दिवाली ऑफर्स लेकर आती है जिनके अंतर्गत ग्राहकों को अच्छे कीमत वाले समान पर अच्छा डिस्काउंट मिलता है। खासकर इलेक्ट्रॉनिक चीजों जैसे टेलीविज़न, मोबाइल फ़ोन और फ़्रिज जैसे उपकरणों पर ज्यादा डिस्काउंट होता है, हर साल त्योहारों के समय पर ऑनलाइन कंपिनियों को करोड़ों का फ़ायदा होता है। एक तरफ ऑनलाइन सर्विस शुरू होने से ग्राहकों को फायदा पहुँच रहा है तो वहीँ दूसरी तरह दुकानदारों को इससे घाटे का सौदा करना पड़ रहा है क्योंकि ग्राहकों को तो ऑनलाइन कॉम्पिनियां पहले ही आकर्षित डिस्काउंट देदेती है तो दुकानदारों से कौन भला समान खरीदेगा? ययही कारण है कि ऑफलाइन शॉप हमेसा ऑनलाइन कंपिनियों के खिलाफ रहते है। ऑनलाइन शॉपिंग का ट्रेंड आज सर चड़कर बोल रहा है ऐसे में लोगों को कुछ बातों का हमेसा ध्यान रखना चाहिए की जिस ऑनलाइन कंपनी से वो हजारों का समान खरीद रहे है वो सुरक्षित हो, उसमे कोई धोखाधड़ी या गोलमाल न हो क्योंकि बहुत बार देखा गया है की ऑनलाइन शॉपिंग के चकजर में लोगों को ठगी का शिकार होना पड़ा है।
           आजकल ऑनलाइन शॉपिंग ने हमारे खरीदने की सोच को बड़ा दिया है, एक जगह पर ही अब हजारों ब्रांड के समान उपलब्ध होने से हम इनकी तरफ आँख बंद करने भरोसा करने लगे है। ऑनलाइन शॉपिंग करते हुए हमेसा सुरक्षा बरते वरना परिणाम बहुत शर्मनाक हो सकता है।

Saturday, 15 October 2016

तीन प्रथायों को खत्म करने की आवाज़

आखिरकार मुस्लिम महिलायों ने अपनी आवाज़ को उठाते हुए कुछ प्रथायों को खत्म करने की मांग की है। सरकार पर दवाब तो बनाया जा रहा है लेकिन अंत में फैसला क्या होगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा।

         बात चाहे तीन तलाक़ की जो या बहुविवाह की अब मुस्लिम महिलाएं चाहती है कि इन सब रीति रिवाजों को खत्म किया जाये क्योंकि ये उनके मान के खिलाफ है। बात करे तीन तलाक़ की तो ये प्रथा मुस्लिम धर्म और समाज में पिछले कई सालों से चलती आ रही है जिसके अंतर्गत मात्र तीन बार मौखिक तरीके से तलाक तलाक तलाक बोल देने से पति-पत्नी का रिश्ता खत्म हो जाता है, जानकार हैरानी होगी की मुस्लिम समुदाय की 93 प्रतिशत महिलाएं इसे प्रथा को खत्म करना चाहती है। बात भी बिलकुल सही है कि सिर्फ मौखिक तौर पे तलाक बोल देने से रिश्ता खत्म करना सही बात नहीं। दूसरा मुद्दा है मुस्लिम आदमी द्वारा बहुविवाह की परंपरा। इसके अंतर्गत मुस्लिम समाज में और कानून के अनुसार मुस्लिम युवक दो से ज्यादा विवाह कर सकता है उसे कानून इसकी इजाज़त देता है। मुस्लिम महिलायों को इससे सख्त नाराजगी है और वे सब इस प्रथा को खत्म करने की मांग कर रहे है। इसके अलावा तीसरा मुद्दा है हलाला,जिसमे अगर एक तालकसुदा महिला अपने पति के साथ फिर रहना चाहती है तो उसे इसके लिए पहले एक अन्य आदमी से निकाह करना पड़ेगा। इस तरह की तमाम प्रथाएं मुस्लिम समुदाय में चलती आ रही है और अब मुस्लिम महिलाएं इसका जबरदस्त विरोध कर रही है। अभी तक मुस्लिम समुदाय में महिलायों की शादी 18 साल से पहले ही करवा दी जाती है जबकि 95 प्रतिशत महिलाएं चाहती है कि उनकी शादी 18 साल के बाद करायी जाये, इसके अलावा मुस्लिम समुदाय में जो कपड़ों को लेकर विवाद रहता है अब उसे भी खत्म करने की मांग की जा रही है। मुस्लिम महिलायों की माने तो उन्हें उनके पसंद के कपड़े पहनने की इजाजत दी जाये जरुरी नहीं की सिर्फ बुर्खे में जिंदगी गुज़ार ली जाये।
          आज मुस्लिम लॉ बोर्ड के सामने बहुत से सवाल खड़े हो चुके है, लाखों मुस्लिम महिलाएं अब जिंदगी के तरीके बदलना चाहती है अभी तक उन्हें हर छेत्र में दबाया जाता रहा है तो अब उनकी आवाज ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। बात चाहे तीन तलाक की हो या बहुविवाह की अब मुस्लिम महिलाएं इन प्रथायों को खत्म करके की दम लेंगी। 

Thursday, 13 October 2016

पहले सबूत..फिर सर्जीकल स्ट्राइक

हम एक ऐसे देश में रह रहे है जहाँ हर कोई सिर्फ अपने लिए जीना चाहता है, यहाँ एक नेता लोगों के लिए नहीं बल्कि अपने लिए राजनीती में आता है,यहाँ आप बुरा काम करोगे तो चलेगा लेकिन अच्छा काम करोगे तो आपको सबको जवाब देना पड़ेगा और आपको शर्मिंदा होना पड़ेगा, ये है हमारा देश। 
           आजकल एक शब्द हर किसी के जुबां पर है वो शब्द है"सर्जीकल स्ट्राइक", जिसका मतलब है एक खास जगह पर पूरा प्लान करके ऑपरेशन करना। उड़ी हमले के बाद से ही भारत पर पाकिस्तान से बदला लेने का दवाब था, क्या नेता क्या जनता हर कोई बस बदला लेने के लिए बोल रहा था, फिर क्या आखिरकार भारतीय सेना ने पाकिस्तान से बदला लिया वो भी सर्जीकल स्ट्राइक करके। लेकिन अब इसी बात को राजनीतिक मुद्दा बनाकर इसे हमारे देश की तमाम पार्टियां इससे खेल रही है। बड़ी शर्म की बात है कि भारत जैसे देश में इस तरह की बातें सुनने को मिल रही है यहाँ यहाँ करोड़ों लोग एक आसमान के नीचे रह रहे है लेकिन सबकी नीयत और सोच बिलकुल अलग-अलग है। भारतीय सेना ने बड़ी मेहनत से, अपनी जान की बाज़ी लगाकर सर्जीकल स्ट्राइक किया तो अब कुछ राजनेता चाह रहे है कि भारतीय सेना उनको इस बात का सबूत दे। सर्जीकल स्ट्राइक का सबूत? अरे.. पाकिस्तान में लोग हस रहे होंगे इस बात को सुनकर की हिंदुस्तान में तो सर्जीकल स्ट्राइक के लिए आपस में घमासान मचा हुआ है। हिंदुस्तान के कुछ ज्यादा ही पड़े लिखे लोग है जो अपनी कुर्सी का गलत उपयोग करते है, उन्हें बस अपनी कुर्सी से प्यार है अपने काम से नहीं। कुछ लोग यहाँ सबूत के पीछे पड़े है तो कुछ भारतीय सेना पर ही सवाल उठा रही है। अब क्या सर्जीकल स्ट्राइक की पूरी वीडियो को youtube पे डाल दे या इसकी सीडी बनाकर दूकान पर बेचे ताकि आतंकवादियों को अच्छे से पता चले की हमने सर्जीकल स्ट्राइक कैसे करी। बड़ी बेहक़ूफी वाली सोच है उन तमाम लोगों की जो हमारी सेना से सबूत मांग रहे है। इस तरह की सर्जीकल स्ट्राइक हमारी तरफ से पहली बार नहीं हुई है इससे पहले भी सेना ने सर्जीकल स्ट्राइक किया है लेकिन इस बार सेना के इस कारनामे को मीडिया का पूरा सपोर्ट मिल रहा है तभी कुछ नेतायों को ये बात रास नहीं आ रही है।
                इस देश का कुछ नहीं हो सकता, यहाँ सर्जीकल स्ट्राइक के बाद सबको सबूत दिखने पड़ते है वरना कोई मानने को तैयार ही नहीं होता की सर्जीकल स्ट्राइक हुयी है। यहाँ देश को आगे ले जाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च होते है लेकिन देश आगे नहीं बढ़ता, क्रिकेट में 6 छक्के मारने पर 60 करोड का इनाम मिलता है, लेकिन दुश्मन की 6 गोली खाकर देश के लिए मर मिटने वाले सेनिकों को सिर्फ सबूत के लिए पूछा जाता है।

Friday, 7 October 2016

पाकिस्तान कलाकारों को बाय बाय..

विश्व भर में सिनेमा जगत के दो प्रमुख रूप देखे जाते है, बॉलीवुड और हॉलीवुड, बॉलीवुड यानि की भारतीय सिनेमा जिसमें भारतीय फिल्में और एल्बम आती है। आज बॉलीवुड का नाम पूरी दुनिया में लोकप्रिय है,सबसे ज्यादा दर्शक आज सिर्फ बॉलीवुड के पास ही है। बॉलीवुड तब जन्मा जब हिंदुस्तान की पहली फिल्म राजा हरिशचंद्र अस्तिव में आई उसके बाद पहली बोलती फिल्म जिसका नाम था आलमआरा, ये वो दौर था जब भारत सिनेमा जगत में कदम रख रहा था। आज बॉलीवुड पुरे विश्व में नाम कमा चूका है, करोड़ों लोग आज इस सिनेमा से जुड़े हुए है और इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती ज रही है। बॉलीवुड में आज भारतीय कलाकारों के साथ साथ पाकिस्तानी कलाकार भी अपनी किस्मत आजमा रहे है और बहुत से पाकिस्तानी कलाकार इससे जुड़ने की चाह रखते है। कई सालों से पाकिस्तानी कलाकार भी बॉलीवुड से जुड़ते रहे है जिनको हिंदुस्तानी आवाम में काफी पसंद भी किया ही और उसके दीवने भी बने है। 
             लेकिन आज माहौल कुछ और है, न परिस्थितियां पहले जैसी रही न ही सोच। आज भारत-पाकिस्तान के बीच जो कुछ हो रहा है उससे इन कलाकारों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है क्योंकि अब इन्हें यहाँ काम मिलना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन लग रहा है। पाकिस्तान के साथ हिंदुस्तान हमेसा दोस्ती का रिश्ता बनाने के लिए आगे आता है लेकिन पाकिस्तान की तरफ से हिंदुस्तान को हमेसा धोखा दिया जा रहा है। पठानकोट हमले हो या, उडी बेस कैंप हमला पाकिस्तान अपनी फितरत से बाज़ नहीं आ रहा है,एक बार फिर जिस तरह से पाकिस्तान आतंकवादियों को सहारा दे रहा ह उससे भारत के साथ साथ और भी देशों को काफ़ी दिक्कतें हो रही है, आतंकवादी हमलों के गुनाहगारों को तो हमारी सेना मौत के घाट उतार चुकी है लेकिन पाकिस्तान की हरकतों का भुकतान अब भारत में काम कर रहे पाकिस्तानी कलाकारों को भुगतना पड़ रहा है। ये हम सब जानते है कि पकिस्तान के हजारों कलाकारों को हिंदुस्तान में काम मिलता आया है कुछ नाम जैसे राहत फ़तेह अली खान, आतिफ़ असलम, फ़वाद खान ये वो बॉलीवुड के सितारे है जिन्होंने नाम बॉलीवुड में कमाया, ये सब पाकिस्तानी कलाकार है लेकिन इन्हें बॉलीवुड में जगह मिली। पाकिस्तान को ये बात नाजी भूलनी चाहिए की जिस हिंदुस्तान को वो तबाह करने के फालतू सपने देख रहा है इससे पूरी तरह से उसका ही नुक्सान होगा। पाकिस्तान का पेट भरने वाला देश हिंदुस्तान है, उनकी प्यास बुझाने वाला देश हिंदुस्तान है। बॉलीवुड तो बिना पाकिस्तानी कलाकरों के भी चलेगा, लेकिन पाकिस्तान क्या होगा अगर हिंदुस्तान ने और सख्ती दिखाते हुए पाकिस्तानी कलाकारों को भारत से आउट कर दिया? पाकिस्तान ये न भूले की वो हर छेत्र में भारत से पीछे है।

Tuesday, 4 October 2016

कैसे आया फेसबुक..

आज शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो फेसबुक में न आया हो, क्या बच्चे क्या बड़े हर किसी का आज फेसबुक में अकॉउंट है और वो रोजाना कई घण्टों तक फेसबुक में ऑनलाइन रहते है। कभी सोचा है कि जिस फेसबुक को हम आज अपने सबसे करीब रखते है, जिसे आज हम अपना सच्चा दोस्त मानते है और पूरी दुनिया जिससे जुडी है वो फ़ेसबुक क
भी सिर्फ एक कॉलज तक सीमित हुआ करता था और अचानक से पूरी दुनिया में लोकप्रिय होता चला गया।         
                               फेसबुक को 4 अप्रैल, 2004 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने बनाया था जिसका नाम है मार्क ज़ुकेरबर्ग, तब मार्क स्टूडेंट थे और उन्होंने इसे नाम दिया "द फेसबुक"। कॉलेज नेटवर्किग स्केल के रूप में शुरुवात के बाद जल्द ही यह कॉलेज परिसर में लोकप्रिय होती चली गई और कुछ ही महीनों में यह नेटवर्क पूरे यूरोप में पहचाना जाने लगा। अगस्त 2005 में इसका नाम फेसबुक कर दिया गया। देखते ही देखते कॉलज कैंपस से निकलकर फेसबुक ने पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बना ली और आज ये लगभग 35 देशों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साइट में शुमार है। फेसबुक सिर्फ साइट ही बड़ी नहीं है बल्कि ये आज विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों में गिनी जाती है, जिसमे लहभाग 9 हज़ार कर्मचारी है जो की इंजिनियर, आईटी और कम्युनिकेशन के महारथी है। इसके संस्थापक है मार्क ज़ुकेरबर्ग, जो की सबसे सफ़ल युवा बिजनेसमैन में आते है। आज फेसबुक इस क़दर लोगों के सर चड़कर बोल रहा है कि रोज़ाना फसेबूक में 3000 से ज़्यादा नए प्रोफाइल बनते है और हर साल करोड़ों से भी बहुत ज्यादा लोग इससे जुड़ते है। औसत हर व्यक्ति रोज़ाना फेसबुक पर 3 से 4 घण्टे का समय बिताता है ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है। सिर्फ भारत से ही फेसबुक को 50 करोड से ज्यादा यूज़र्स फॉलो करते है और इसमें अपने दोस्तों से बातें करते है। आपको जानकर हैरानी होगी की दुनिया में जितनी सेल्फी खिंची जाती है उनमें से 90 प्रतिशत सेल्फी को फेसबुक में अपलोड किया जाता है, हर घंटे में फेसबुक पर 10 हज़ार सेल्फियां अपलोड की जाती है। किसी सोशल साइट के प्रति ऐसी दीवानगी शायद ही कभी देखने को मिले। फेसबुक में काम करने वाले हजारों कर्मचारियों को फेसबुक द्वारा बेहद ख़ास सुविधाएं दी जाती है, बेहतर सैलरी के साथ साथ काम करने के लिए बेहतर माहौल और हर तरह की आधुनिक सुविधा मिलती है। फेसबुक का कार्यलय अमेरिका के कैलिफोर्निया शहर में स्तिथ है जिसमें हज़ारों कर्मचारी है। फेसबुक आज के दौर में युवायों को अपनी और सबसे ज्यादा आकर्षित कर रहा है लेकिन आजकल जिस तरह से साइबर क्राइम में बढ़ोतरी हो रही है उससे फेसबुक की छवि पर भी असर पड़ता है क्योंकि बहुत बार इसमें कुछ लोगों द्वारा नकली आईडी बनायी जाती है जिसका गलत तरीके से इस्तमाल किया जाता है। 
        आज फेसबुक के बिना हम एक दिन भी नहीं व्यतीत कर सकते क्योंकि फेसबुक एक लत की तरह होती जा रही है, और हो भी क्यों न क्योंकि आज इसमें अरबों लोग जुड़े है। फेसबुक सच में एक ख़ास चमत्कार है जिससे नेटवर्किंग साइट्स की परिभाषा ही बदल दी।


Sunday, 2 October 2016

एप्पल जैसा कोई नहीं..

आज का दौर आधुनिक दौर है, हम हर तरफ से आधुनिक सुविधाओं से घिरे हुये है, नई नई टेक्नोलॉजी और आविष्कारों की बदौलत आज हम चाँद तक पहुँच गये है। आज हम बात करते है एप्पल की, आज एप्पल कंपनी को कौन नहीं जानता, एक ऐसी नामी कंपनी जिसमे काम करना हर इंसान का सपना होता है इनकी सुविधायों के आगे सब कुछ बहुत कम लगता है। 1999 से अभी तक एप्पल कंपनी लगातार कामयाबी दिखाते हुए पूरे विश्व के ग्राहकों की पहली पसंद बन चुकी है, चाहे आईफोन हो या एप्पल पैड या फिर एप्पल सिस्टम आज लोग एप्पल के दीवाने है, और एप्पल आईफोन के लिये तो युवायों में गजब का दीवानापन देखा जाता है।
              एप्पल कंपनी दुनिया की सबसे शक्तिशाली कंपनियों में से एक है इसका मुख्यालय अमेरिका में स्तिथ है। शुरुआती दौर में कंपनी ने आर्थिक मंदी झेली थी लेकिन इसके बाद ऐसी लोकप्रियता हासिल की जो आज पूरी दुनिया देख रही है। हर आदमी की इच्छा होती है कि वह जिंदगी में कभी न कभी एप्पल का फोन जरूर लें। एप्पल आज बेहद बड़ी कंपनी बन चुकी है आपको पता है, एप्पल में नौकरी करने वाला हर तीसरा आदमी भारतीय है।एप्पल कंपनी के संस्थापक  स्टीव जॉब्स है जो पूरी एप्पल इंडस्ट्री को संभालते है। बताया जाता है कि स्टीव जॉब्स को कंपनी ने 1985 में बेदखल कर दिया था उनकी 1996 में फिर से कंपनी में वापसी हुई। पूरी दुनिया में एप्पल कंपनी के लगभग 83,000 कर्मचारी है और एप्पल हेडक्वार्टर के कर्मचारी हर साल 125,000 $ कमाते है। इससे भी चौकाने वाली बात ये है कि एप्पल कंपनी हर 1 मिनट में 300,000 डॉलर की कमाई करती है यानि की लगभग 20 करोड़ रुपए। इसके साथ साथ एप्पल के ऐप्स को दुनिया में सबसे ज्यादा डाउनलोड किया जाता है, एप्पल के स्टोर से 25 बिलियन से ज्यादा ऐप्स अब तक डाउनलोड किए जा चुके हैं जो की अपने आप में एक बहुत बड़ा रिकॉर्ड है। एप्पल कितनी शक्तिशाली इंडस्ट्री है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एप्पल कंपनी से जुड़ते ही 25 साल के उम्र में स्टीव जॉब्स करोड़पति बन गए थे। एप्पल पुरे विश्व में प्रसिद्ध है लेकिन इसका 61 प्रतिशत बिजनेस अमेरिका के बाहर से ही होता है, यानी की प्रॉफिट का एक तिहाई हिस्सा एप्पल का अमेरिका से नहीं बल्की बाकी देशों से आता है। कंपनी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जापान में एक आदमी आईफोन 6 के लिए 7 महीने तक लाइन में लगा था।
                सन 2012 में एप्पल ने अपने 40 मिलियन आईफोन बेचे थे, इसका मतलब रोज़ाना लगभग 1,10,000 आईफोन बेचे गए। एप्पल के आईफोन आज दुनिया भर के करीब 89 देशों में बेचे जाते हैं और हर साल करोड़ों सेट्स की बिक्री होती है।आपको जानकार हैरानी होगी की 2014 की पहली तिमाही में एप्पल कंपनी ने इतने ज्यादा रूपए कमाए थे जो Google,Facebook & Amazon की कमाई को मिलाकर भी पूरा नहीं कर सकती। इसलिए आज पूरी दुनिया एप्पल की दीवनी है।

Saturday, 1 October 2016

उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर..

उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जिसमें बहुत सी सांस्कृतिक विरासत मौजूद है,उत्तराखण्ड जिसे 2006 तक उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण 9 नवम्बर 2000 में हुआ। जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। सन 2000 में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। इस राज्य में हिन्दू धर्म की सबसे धार्मिक और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल है, तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। हर राज्य की अपनी कुछ ख़ास संस्कृति होती है ठीक इसी तरह हमारे उत्तराखंड में भी बहुत सी संस्कृतियां विराजमान है जो की उत्तराखंड को सबसे अलग और ख़ास देवभूमि बनाती है। 


        उत्तराखंड को ईश्वर की धरती या देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ हिंदुओं की आस्था के प्रतीक चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री स्थित हैं। उत्तर भारत का ये राज्य गंगा और यमुना समेत देश की प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल भी है जिसे गंगोत्री और यमनोत्री के नाम से जाना जाता है।भगवान शिव के और अनेक पवित्र मंदिरों के कारण उत्तराखंड हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थानों में गिना जाता है। बद्रीनाथ और केदारनाथ, दो ऐसे तीर्थस्थल हैं, जो यहां सदियों पहले से हैं। बद्रीनाथ चार धामों में से एक है और सबसे पवित्र स्थलों में से भी एक है। केदारनाथ भी बद्रीनाथ जितना ही पवित्र और दर्शनीय स्थल है,यहां प्राचीन शिव मंदिर है, जहां 12 ज्योर्तिलिंग में से एक शिवलिंग विराजमान हैं। गंगोत्री धरती का वह स्थान है, जिसे माना जाता है कि गंगा ने सबसे पहले छुआ। देवी गंगा यहां एक नदी के रूप में आई थीं। यमुनोत्री यमुना नदी का स्रोत है और इसके पश्चिम में पवित्र मंदिर है।उत्तराखंड आज लगातार बाकी राज्यों की तरह विकास की और बड़ रहा है जिसमे सरकार भी बेहद सहायता कर रही है। उत्तराखंड में तमाम बड़े मंदिर और धार्मिक स्थल है जिसमे हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमनोत्री, गंगोत्री, हेमकुंड साहिब और तुंगनाथ बेहद ख़ास है। रोजाना हजारों-लाखों की संख्या में तीर्थयात्री इस धार्मिक स्थलों के दर्शन हेतु उत्तराखंड का रुख करते है। इसके साथ साथ यहाँ बहुत से पर्यटक स्थल जैसे की औली, नैनीताल, फूलों की घाटी,मसूरी स्तिथ है।इसके अलावा ऋषिकेश को सभी पवित्र स्थानों के लिए प्रवेश द्वार है।उत्तराखंड की संस्कृति का हर कोई दीवाना है,यहाँ का रहन-सहन,पहनावा, खाना-पीना सब कुछ एक अलग की खुसी का एहसास दिलाता है।    उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊं दोनों क्षेत्रों के अलग-अलग खाद्य पदार्थों की बड़ी विविधता है, जो किसी को भी अपना मुरीद बना सकती है। उत्तराखंड में स्थानीय साग-पत्ते और मसाले का मिश्रण खाने का स्वाद और बढ़ा देते हैं यहां मठरी और तिल लड्‌डू, मडुआ रोटी, उड़द के पकौड़े, भांगजीरा की चटनी, आलू के गुटके,सिंगोडी, सिनसुक साग, झिंगारा की खीर, कापा की दाल और सिंघल सबसे स्वादिष्ट तरीके से बनाया जाता है और ये ही यहाँ की पहचान भी है।
             उत्तराखंड अपनी संस्कृति को हमेसा अपनाते आया है,जहाँ पूरा देश पश्चमी संस्कृति की और आकर्षित होता दिख रहा है तो वहीँ आज भी उत्तराखंड में उसकी संस्कृति बसी है यहाँ के लोग अपनी संस्कृति को आज भी उसी तरह के उत्साह से अपनाते है जैसे पहले अपनाते थे। सरकार भी अब उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए गम्भीरता से काम कर रही है,सरकार द्वारा उत्तराखंड की संस्कृति का प्रचार प्रसार किया जा रहा है और यहाँ के धार्मिक स्थलों पर ख़ासा ध्यान रखा जा रहा है। एक कदम हमे भी उठाना है कि हम अपनी संस्कृति को खोने न दे उत्तराखंड की संस्कृति ही इसकी पहचान है।