उत्तराखंड,यूपी, गोवा समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले है ऐसे में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियां अभी से जनता को लुभाने की तैयारी में डटी हुयी है। क्या सड़क,क्या पुल,क्या स्टेडियम जो भी मिल रहा है उसका शिलान्यास हो रहा है ऐसा लग रहा है मानो साल भर का काम इन 2-4 दिनों में पूरा करना है। मतलब पार्टियाँ अब हर कीमत पर जनता को लुभाना चाहती है चाहे इसके किये उन्हें कुछ भी करना पड़े। अब जो भी करना है आम लोगों को करना है, इस बात पे ध्यान देना चाहिए की खोखली बातों पर न आएं वरना अपने ही नेता आपके लिए मुसीबत बन जाएंगे।
हर कोई यही चाहता है कि उसके छेत्र का विकास हो, उसके राज्य का नाम भी देश भर में घूंजे, लेकिन इसके लिए कोई काम नहीं करता। मतलब सब सोचते है लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं करता नतीजा ये रहता है कि राज्य कभी विकास रथ पर सवार नहीं होता और ज्यों का त्यों ही रहता है। आज अगर बात उत्तराखंड की करें तो इस राज्य को बने हुए 16 साल हो चुके है तबसे यहाँ 16 अच्छे अस्पताल तक नहीं है,16 उच्च शिक्षा संस्थान तक नहीं है ऐसे में यही तो माना जायेगा की 16 साल में यहाँ कुछ नहीं हुआ बस सरकार बदली है नेता लोग बदले है। वादें सबके एक ही थे, भाषण सबके एक ही थे और घोषणाएं भी लगभग एक ही थी लेकिन किसी एक ने भी कुछ काम नहीं किया लेकिन अब चुनाव नजदीक है तो फिर से उद्धघाटनों का सिलसिला शुरू हो चूका है, जो फ्लाई ओवर 2-3 साल से जमे हुए थे वो एक महीने में बनकर तैयार हो गए है, जिस स्टेडियम को बनने में सालों लग गए उसके बदले दो स्टेडियम टेगार हो गए वो भी कुछ महीनों में। विकास का हक़ हर किसी का है लेकिन सिर्फ सत्ता पे आने के लिए वोट मांगना भीख मांगने जैसा है, मंत्री बनकर लोगों की सेवा करो तो जिंदगी भर लोग तम्हे याद रखेंगे लेकिन सिर्फ नेतागिरी करोगे तो जिस गली से गुजरोगे वहां गलियां पड़ेगी। उम्मीद है कि इस चुनाव में जनता दिमाग खर्च करके कुछ अच्छे लोगों को राज्य की जिम्मेदारी देगी।
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