केंद्र सरकार के नोटबंदी फैसले को एक महीने का समय हो चूका है, 8 नवंबर को अचानक जब ये फैसला सामने आया तब पुरे देश में रुपए को लेकर हाहाकार मच उठा, इस एक महीने में हमारे देश में बहुत सी नई तसवीरें सामने आई, कहीं बैंकों में लंबी-लंबी लाईने लगी तो कहीं एटीएम के बाहर लोग कैश के लिए संघर्ष करते दिखे.लड़ते भी दिखे. कुछ नजरें तो सच में अलग ही मिले, कहीं नालों में 500-1000 के नोट तैरते मिले तो कहीं जंगलों में लाखों रुपये से भरे बैग मिले, ये सब तस्वीरें पिछले एक महीने में हमारे देश में देखने को मिली.
एक तरफ नोटबंदी के फैसले से आम लोग खुश दिखे तो विपक्षी पार्टियों में इसके ख़िलाफ़ आक्रोश दिखा, लेकिन सच्चाई ये भी है कि जनता के हित में लिया गया ये फैसला कहीं न कहीं जनता को ही भारी पड़ रहा है क्योंकि पिछले एक महीने से हिन्दुस्तान एटीएम और बैंक के बाहर खड़ी दिख रही है। केंद्र सरकार ने कालेधन को खत्म करने के लिए ये कदम तो उठाया लेकिन जो होमवर्क उन्हें करना चाहिए था वो उन्होंने नहीं किया और नतीजा हम सब देख रहे है कि आज आम जनता छोटे नोट के लिए इधर-उधर भटक रही है. नवंबर का महीना देश भर में कालाधन रखने वालों के लिए बुरा वक़्त लेकर आया, सही मायनों में तो दिवाली इस महीने हुई है, कालेधन वालों के ऊपर मोदी सरकार ने जो पटाखा फोड़ा है उसकी गूँज हमेसा उनके कानों पर रहेगी। लेकिन एक बात बड़ी अजीब सी लगी कि कुछ समय पहले तो हर कोई मोदी सरकार को कालेधन को खत्म करने के लिए गुज़ारिश कर रहा था, और जब इसके लिए मोदी सरकार ने ठोस कदम उठाया तो हर कोई इसपे टिप्पणी करने लग गया, इस तरह का कदम उठाना हमारे देश के लिए बहुत जरुरी हो चूका था क्योंकि कालेधन रखने वाले एक दीमक की तरह देश को अंदर से खोकला कर रहे थे ऐसे में नोटबंदी से उनपर कुछ लगाम को ज़रूर लगेगी। इस फैसले का हम सब स्वागत करते है क्योंकि देश के आने वाले बेहतर कल के लिए ये फैसला बिल्कल सही है।
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