Thursday, 22 December 2016

टूटने लगा है सब्र का बांध..



नोटबंदी को 50 दिन होने वाले है, पिछले डेढ़ महीनों से आम जनता एटीएम और बैंक के बाहर कतारों में खड़ी है, कोई अपनी इच्छा से तो कोई मज़बूरी है लेकिन अब वो वक़्त आ चूका है जब लोगों कुछ रुपयों के लिए कई घंटों तक लाइन में खड़े रहे, अब लोगों में सब्र का बांध डगमगाने लगा है और वो आक्रोशित होते दिख रहे है और हो भी क्यों न क्योंकि वो भी देख रहे है कि कहीं चायवाले के पास से करोड़ों रुपए निकल रहे है तो कहीं बैंक अधिकारी ही नई करेंसी को ठिकाने के लिए हाथ काले कर रहे है। नोटबंदी का फैसला अभी बहुत कुछ दिखाएगा..
     
               मोदी सरकार ने देशवाशियों से  50 दिनों का समय माँगा ताकि वो इन 50 दिनों में स्तिथि को सामान्य बना सके और आम लोगों को थोड़ी रहत दे सके लेकिन ये 50 दिन सरकार और आम जनता दोनों के लिए किसी चुनोती से काम नहीं दिख रही है। आम लोगों के लिए रोज-रोज बैंक और एटीएम के बहार खड़ा होना अब मुश्किल होता जा रहा है और ऊपर से सरकार अभी तक नियम पे नियम बदल रहे है जिससे लोगों में सरकार को लेके और ज्यादा गुस्सा है और हो भी क्यों न एक तो सरकार का इतना बड़ा फैसला ले लिया और ऊपर से नियम पे नियम खोजे जा रहे है ऐसे में आम जनता जाये तो जाये कहाँ ?लोगों की माने तो फैसला अच्छा है लेकिन नियम एक ही होना चाइये था बार बार नियम में बदलाव करने से सिर्फ आम लोगों को दिक़्कतें हो रही है। सरकार अपने फैसले से खुद को बचती भी दिख रही है तो वहीँ विपक्षी किसी भी मौके का फ़ायदा छोड़ना नही चाहते। अब इस घडी में भी पक्ष-विपक्ष करना कहीं की समझदारी नहीं लेकिन यही तो नियम है हमारे देश का।  अभी नोटबंदी ने जन्म लिया है , 50 दिन होने में समय है तो अंदाजा लगाया जा सकता है की नोटबंदी भी बहुत कुछ नया दिखाएगी..... 

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