Friday, 3 March 2017

स्मार्टफोन पर रोक की जरूरत नहीं..

हाल ही में बीएसएफ के जवान तेज़ बहादुर का एक वीडियो सामने आया था जिसमे उन्होंने बीएसएफ द्वारा जवानों को दिए जा रहे खाने पर सवाल किए थे, उन्होंने आरोप लगया था कि जवानों को सही तरीके से खान-पान मुहैया नहीं कराया जाता। इन आरोपों का हल तो फिलहाल हुआ नहीं लेकिन नतीजा ये रहा की अब सेना के जवानों को स्मार्टफोन रखने की अनुमति नहीं दी जायेगी। इसके साथ साथ पेन ड्राइव और सभी मल्टीमीडिया डिवाइस रखने पर भी सेना ने रोक लगा दी है। सवाल ये है कि इस तरह से प्रतिबंध लगाया सही है या नहीं?
सेना की सुरक्षा की दृष्टि से देखे तो ये सही कदम लगता है क्योंकि अगर खाने का वीडियो वायरल हो सकता है तो क्या पता कल कोई सेना से जुडी सीक्रेट बात भी वायरल हो जाये। लेकिन ये भी देखा जाता है कि आज के समय पर स्मार्टफोन से दूरी जवान और उनके परिवार की दुरी काम हो जाती है, व्हाट्सअप, सोशल साइट्स की मदद आज जवान दूर बैठे अपने परिवार से मेसेज के जरिये बात कर सकता है। मेरे ख्याल से ये जल्दबाजी में लिया गया फैसला है क्योंकि हमें अपने जवानों पर पूरा भरोसा है,जो देश के लिए मर सकते है वो देश का बुरा कभी नहीं सोचेंगे। ये बात भी सबको पता है कि सेना में किसी भी सैनिक या अधिकारी को अपनी समस्या बताने का पूरा हक है और इसके लिए सेना में प्रक्रिया भी है। लेकिन कभी-कभी उस प्रक्रिया से निपटते- निपटते ही बहुत समय लग जाता है और जवान की शिकायत ऊपरी अधिकारियों तक नहीं पहुँच पाती, तेज़ बहादुर के साथ भी शायद यही हुआ हो जिसके बाद मज़बूरी में उन्हें वीडियो बनांकर सोशल साइट्स पर डालना पड़ा। देखा जाये तो गलती उस जवान की भी नहीं है क्योंकि उन्होंने तो अपने हालात का जिक्र किया था अब सेना इसे दूसरी दृष्टि से देखती है तो कोई क्या करे। 

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