त्योहारों के साथ मिलावटी बाजार तैयार..
त्योहारों के सीजन में मिलावटी बाजार भी पूरी तरह से सह जाते है, ख़ासकर होली के समय पर मिलावटी मिठाईंयां, मिलावटी रंग और गुलाल का बड़ी मात्रा में इस्तमाल होता है जो की हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार है, खुशियों का त्यौहार है लेकिन इन खुशियों में रूकावट का काम करती है मिलावटी मिठाईंयां और रंग। हर साल देखा जाता है कि होली आते ही दुकानों में मिठाईंयां और रंग सजने लगते है लेकिन इसपर कोई ध्यान नहीं देता की वो मिठाईंयां खाने लायक है या नहीं? खासकर मावा से बनी हुई मिठाइयों में नकली मावा और रंग तक मिलाये जाते है, बेचने वालों को तो सिर्फ अपने मुनाफे की फ़िक्र है इसलिए उनका काम सिर्फ बेचना होता है लेकिन हमें अपनी जिंदगी प्यारी है तो हमे ही इस बात का ध्यान देना होगा की हम जो मिठाईंयां ले रहे है क्या वो मिलावटी तो नहीं? ये तो बात हुई मिठाइयों की अब बात करते है उसकी जिसके बिना होली संभव ही नहीं यानि हम बात कर रहे है रंगों की, मिठाईंयां तो मिलावटी आती ही है लेकिन अब तो होली में बिकने वाले रंगों का भी गलत तरीके से उपयोग हुआ जा रहा है। ज्यादा रंग बेचने के लालच में बहुत से लोग मिलावटी रंग बाजार में लाते है, ऐसे रंग जिनमें कांच, बजरी तक मिले होते है जो हमारे स्किन के लिए बेहद खतरनाक होते है। अक्सर देखा जाता है कि होली से पहले ही बाजारों में इस तरह के मिलावटी सामान लोगों के लिए परोसने के लिए सजा दिते जाते है और इनकी फैक्टरियां भी लगाई जाती है, पुलिस और प्रसाशन के हर छापे पर नकली मिठाईंयां और रंग बड़ी मात्रा में पकड़ी जाती है लेकिन फिर भी ये नकली और मिलावटी बाजार बंद होने का नाम नहीं लेता। प्रशाशन को इस तरफ अच्छे से काम करने की जरूरत है, क्योंकि साल दर साल मिलावटी बाजार बढ़ता ही जा रहा है जिससे हम सब खुद को खतरे में महसूस कर रहे है।
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