Monday, 20 March 2017

जीवनदायनी नदी को जीवित मानव के अधिकार..


धरती की सबसे पावन नदी गंगा जिसके एक आचमन से ही जन्मों-जन्मों के पाप धुल जाते है आज खुद बेहद मैली हो चुकी है। जिनके लिए इस पावन नदी को धरती पर आना पड़ा उन्ही ने इसकी कदर नहीं की जिसके चलते आज गंगा अपने ही घर में मैली हो चुकी है।
    गंगा में बढ़ते प्रदूषण को रोकने में जहाँ सरकार नाकाम दिखती आई है तो वहीँ अब उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने गंगा के लिए बेहद खास कदम उठाया है। नैनीताल कोर्ट ने गंगा और युमना नदी को भारत की पहली जीवित मानव की संज्ञा दी है यानि की गंगा और युमना नदी को जीवित मानव के समान अधिकार दिए जाने को कहा गया है। फैसला स्वागत योग्य है लेकिन सवाल ये उठता है कि लगातार मैली होती गंगा क्या इस फैसले से साफ़ और स्वच्छ हो पायेगी? गंगा के प्रति हर कोई जागरूकता की बातें करता दीखता है लेकिन हम ही उसे गंदा करते है। देश में पहली बार किसी अदालत ने गंगा और युमना नदी के लिए ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जिसके अंतर्गत केंद्र सरकार को 8 सप्ताह में गंगा मैनेजमेंट बोर्ड बनाने के निर्देश दिए है और जल्द से जल्द इसपर काम करने को कहा गया है। अगर ये फैसला सही ढंग से काम करता है तो आने वाले सालों में गंगा पूरी तरह से साफ़ हो जायेगी। विश्व में अभी तक सिर्फ न्यूजीलैंड की वानकुई नदी को ही जीवित मनुष्य के समान अधिकार दिए गए है ऐसे में नैनीताल हाई कोर्ट का गंगा-युमना के प्रति लिया गया ये फैसला काफी सराहनीय है। मुझे ऐसा लगता है कि वक़्त आ गया है कि इस फैसले में हर व्यक्ति को जोड़ देना चाहिए क्योंकि गंगा को स्वच्छ रखने के लिए सबका साथ चाहिए। अभी तक हमारी सरकार ने गंगा और युमना नदी  की निर्मलता और स्वच्छता को बचाए रखने के लिए तमाम घोषणाएं करती आई है लेकिन आज तक ये नदियां पूर्ण तरह से साफ़ नहीं हो सकी है ऐसे में अब उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय का ये ऐतिहासिक कदम क्या परिणाम दिखायेगा ये जल्द पता लग जायेगा।
-- राहुल नेगी,ऋषिकेश

Sunday, 12 March 2017

मोदी मैजिक के सामने सब फ़ैल..

कहते है वक़्त और क़िस्मत भी उसी का साथ देती है जिसके इरादे नेक होते है। सेर्ज़िकल स्ट्राइक और नोटबंदी जैसे बेहद बड़े कदम उठाने वाले देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू अब विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला, जहाँ बीजेपी ने उत्तराखंड,उत्तर प्रदेश और मणिपुर में कमल खिलाने में कामयाब रही। लोक सभा चुनाव में जो मोदी मैजिक देखने को मिला था, ठीक वैसा ही कारनामा 2017 विधानसभा चुनाव में भी दिखा, बीजेपी एक तरफ़ा जीत के साथ सत्ता पर आ चुकी है। इस जीत से एक बात तो साफ़ हुयी की करोड़ों भारतीयों ने नोटबंदी के फैसले का साथ दिया है।
 उज्व्वला योजना,जन-धन योजना,नोटबंदी ये सब नरेंद्र मोदी के काम है जिन्हें आज लोगों ने पसंद किया है। उत्तर प्रदेश में पिछले 27 सालों से समाजवादी पार्टी का राज था तो वहां बीजेपी का कमल खिलना बेहद मुश्किल दिख रहा था लेकिन मोदी मैजिक वहां भी खूब चला और सबसे बड़े राज्य में जीत का परचम लहराया गया। मुझे तो ऐसा लगा की ये चुनाव सिर्फ मोदी जी के लिए था क्योंकि हर सीट पर बीजेपी का कब्ज़ा रहा जिसके पीछे सर्फ मोदी मैजिक काम आया और मोदी सुनामी के सामने हर कोई साफ़ होता दिखा। करोड़ों भारतीयों ने मोदी पर भरोसा किया है सब हर कोई यही उम्मीद कर रहा है कि मोदी को देश की नईया पर लगाएंगे और हर तरह से आम लोगों के लिए मोदी जी काम करेंगे। मेरा मानना है कि बीजेपी की इस जीत के पीछे  का कारण मोदी की छवि और अमित शाह की रणनीति रही जिसका फ़ायदा इस चुनाव में बीजेपी को मिला और ये भी मानना गलत नहीं कि हर किसी ने बीजेपी को नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी को वोट दिया है। कांग्रेस,समाजवादी पार्टी, आप और बीएसपी जैसे बड़ी-बड़ी पार्टियां मोदी के सामने कहीं नहीं दिखे। उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने जो हासिल किया है वो शब्दों में बयां नहीं हो सकती, इतने बड़े राज्य में हर धर्म और हर जाती के लोग है ऐसे में हर किसी की मानसिकता के साथ चलना सिर्फ मोदी जी को आता है जिसका परिणाम सामने भी आ चुका है। ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी नेता को लोग दिल से पसंद करते है और कई बार लोगों ने इसका परिमाण दिया है क्योंकि नोटबंदी के दौरान कहीं न कहीं लोगों को दिक्केतें हुयी थी लेकिन अच्छी सोच के सामने हर कोई मोदी के साथ चलने को मजबूर हो गया। नरेंद्र मोदी का जादू आज हर तरफ देखने को मिला लेकिन ये चुनाव भी बड़ी उथल-पुथल वाला रहा, कई मुद्दे उठे चाहे मुद्दा राम मंदिर का रहा हो, या जातियों का मुद्दा या फिर कब्रिस्तान लेकिन आम जनता के अपना फैसला तो पहले ही कर दिया था फिर भले ही विवाद कुछ भी हो। उत्तर प्रदेश में दो दिन पहले तक समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का साथ जीत का रस्ता बनाते दिख रहे थे तो वहीँ होली से ठीक पहले आये रिजल्ट ने सब कुछ बता दिया। त्यौहार के समय पर बीजेपी ने जीत का गुलाल उड़ाया है और हर तरफ मोदी मोदी की गूंज सुनाई दे रही है। अब बस यही उम्मीद है कि मोदी सरकार हर राज्य की तस्वीर बदले, ताकि करोड़ों लोगों का भरोसा कभी नहीं टूटे।

Wednesday, 8 March 2017

त्योहारों के साथ मिलावटी बाजार तैयार..


त्योहारों के सीजन में मिलावटी बाजार भी पूरी तरह से सह जाते है, ख़ासकर होली के समय पर मिलावटी मिठाईंयां, मिलावटी रंग और गुलाल का बड़ी मात्रा में इस्तमाल होता है जो की हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार है, खुशियों का त्यौहार है लेकिन इन खुशियों में रूकावट का काम करती है मिलावटी मिठाईंयां और रंग। हर साल देखा जाता है कि होली आते ही दुकानों में मिठाईंयां और रंग सजने लगते है लेकिन इसपर कोई ध्यान नहीं देता की वो मिठाईंयां खाने लायक है या नहीं? खासकर मावा से बनी हुई मिठाइयों में नकली मावा और रंग तक मिलाये जाते है, बेचने वालों को तो सिर्फ अपने मुनाफे की फ़िक्र है इसलिए उनका काम सिर्फ बेचना होता है लेकिन हमें अपनी जिंदगी प्यारी है तो हमे ही इस बात का ध्यान देना होगा की हम जो मिठाईंयां ले रहे है क्या वो मिलावटी तो नहीं? ये तो बात हुई मिठाइयों की अब बात करते है उसकी जिसके बिना होली संभव ही नहीं यानि हम बात कर रहे है रंगों की, मिठाईंयां तो मिलावटी आती ही है लेकिन अब तो होली में बिकने वाले रंगों का भी गलत तरीके से उपयोग हुआ जा रहा है। ज्यादा रंग बेचने के लालच में बहुत से लोग मिलावटी रंग बाजार में लाते है, ऐसे रंग जिनमें कांच, बजरी तक मिले होते है जो हमारे स्किन के लिए बेहद खतरनाक होते है। अक्सर देखा जाता है कि होली से पहले ही बाजारों में इस तरह के मिलावटी सामान लोगों के लिए परोसने के लिए सजा दिते जाते है और इनकी फैक्टरियां भी लगाई जाती है, पुलिस और प्रसाशन के हर छापे पर नकली मिठाईंयां और रंग बड़ी मात्रा में पकड़ी जाती है लेकिन फिर भी ये नकली और मिलावटी बाजार बंद होने का नाम नहीं लेता। प्रशाशन को इस तरफ अच्छे से काम करने की जरूरत है, क्योंकि साल दर साल मिलावटी बाजार बढ़ता ही जा रहा है जिससे हम सब खुद को  खतरे में महसूस कर रहे है।

Friday, 3 March 2017

स्मार्टफोन पर रोक की जरूरत नहीं..

हाल ही में बीएसएफ के जवान तेज़ बहादुर का एक वीडियो सामने आया था जिसमे उन्होंने बीएसएफ द्वारा जवानों को दिए जा रहे खाने पर सवाल किए थे, उन्होंने आरोप लगया था कि जवानों को सही तरीके से खान-पान मुहैया नहीं कराया जाता। इन आरोपों का हल तो फिलहाल हुआ नहीं लेकिन नतीजा ये रहा की अब सेना के जवानों को स्मार्टफोन रखने की अनुमति नहीं दी जायेगी। इसके साथ साथ पेन ड्राइव और सभी मल्टीमीडिया डिवाइस रखने पर भी सेना ने रोक लगा दी है। सवाल ये है कि इस तरह से प्रतिबंध लगाया सही है या नहीं?
सेना की सुरक्षा की दृष्टि से देखे तो ये सही कदम लगता है क्योंकि अगर खाने का वीडियो वायरल हो सकता है तो क्या पता कल कोई सेना से जुडी सीक्रेट बात भी वायरल हो जाये। लेकिन ये भी देखा जाता है कि आज के समय पर स्मार्टफोन से दूरी जवान और उनके परिवार की दुरी काम हो जाती है, व्हाट्सअप, सोशल साइट्स की मदद आज जवान दूर बैठे अपने परिवार से मेसेज के जरिये बात कर सकता है। मेरे ख्याल से ये जल्दबाजी में लिया गया फैसला है क्योंकि हमें अपने जवानों पर पूरा भरोसा है,जो देश के लिए मर सकते है वो देश का बुरा कभी नहीं सोचेंगे। ये बात भी सबको पता है कि सेना में किसी भी सैनिक या अधिकारी को अपनी समस्या बताने का पूरा हक है और इसके लिए सेना में प्रक्रिया भी है। लेकिन कभी-कभी उस प्रक्रिया से निपटते- निपटते ही बहुत समय लग जाता है और जवान की शिकायत ऊपरी अधिकारियों तक नहीं पहुँच पाती, तेज़ बहादुर के साथ भी शायद यही हुआ हो जिसके बाद मज़बूरी में उन्हें वीडियो बनांकर सोशल साइट्स पर डालना पड़ा। देखा जाये तो गलती उस जवान की भी नहीं है क्योंकि उन्होंने तो अपने हालात का जिक्र किया था अब सेना इसे दूसरी दृष्टि से देखती है तो कोई क्या करे।