
ये पहली बार नहीं हुआ की हिमालय छेत्र में धरती काँपी हो, इससे पहले भी बहुत बार हिमालय छेत्र भूकंप की वजय से प्रभावित होता आया है जिसका असर 300 किमी दूर दिल्ली तक देखा गया है। कुछ लोग मानते है कि भूकंप जमीनी सतह हिलने की वजय से आते है जबकि कुछ लोग बढ़ते प्रदूषण और मौसम के बदलाव को इसकी वजय बताते है, कारण जो भी हो असल बात ये है कि हम भूकंप से निपटने के लिए कितने तैयार है क्योंकि हम लोग तभी हरकत में आते है जब नुक्सान हो चूका होता है। हमारे पडोसी देश नेपाल ने पिछले सालों जो भूकंप से दर्द सहा है वो सबने महसूस किया, पलक झपकते ही नेपाल की तस्वीर बदल गई थी, तेज भूकंप के झटकों से नेपाल इस तरह हिला की वहां सब कुछ तबाह हो गया, न प्रशाशन को कुछ समझ में आया न आम लोगो को। ऐसे ही बहुत बार देखने को मिला जब - जब धरती आक्रोश दिखती है तब-तब इंसान परित्थितियों के सामने झुकता है। आज हमारे पास बहुत से भू वैज्ञानिक है लेकिन वो भी आने वाली इस तबाही के बारे में नहीं बता पाते साथ में SDRF, NDRF की टीम है लेकिन वो तबाही के बाद हरकत में आती है। सबसे पहले हम लोगों को ही एतियात बरतने की जरूरत है, भूकंप जैसी स्तिथि में घबराने की जगह शांति से खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित बनाये और कोशिश करें की जल्द से जल्द खुले मैदान में पहुँचे,आपातकालीन नंबर हमेसा अपने पास रखे और भगदड़ न मचाए।
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