Saturday, 4 February 2017

ईवीएम में कैद होती किस्मत..


पंजाब और गोवा के बाद अब बारी है यूपी,उत्तराखंड की। जहाँ यूपी में 404 सीटों के लिए मतदान होने है तो वहीँ उत्तराखंड में 70 सीटों के लिए जंग जारी है। रणभूमि तैयार है, सारे प्रतिनिधि चुनावी जंग में कूद चुके है, हर कोई जानता से वादे करता और उन्हें अपने भरोसे में लेने की कोशिश में जुटा है। लेकिन पाँच सालों का हिसाब-किताब अब जनता के हाथों पर है कि वो किसको चुनते है और किससे बदला लेते है, जितने उम्मीदवार है उनकी किस्मत ईवीएम में कैद होने वाली है जिसका ख़ुलासा परिणाम आते ही हो जायेगा।
           फरबरी और मार्च का माह इस बार चुनाव लेकर आया है, विधानसभा चुनाव की शुरुवात पंजाब और गोवा से हो चुकी है वहां 80 प्रतिशत वोट पड़े है, लोगों ने अपने मत का इस्तमाल करके समाज और अपने देश के लिए काम किया है। आज से 2 दशक पहले की बात करे तो तब ईवीएम जिसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन कहते है वो नहीं हुआ करता था, तब जनता मुहर और अंघुठे से अपना प्रतिनिधि चुनती थी लेकिन वक़्त के साथ-साथ ये परंपरा भी बदली और ईवीएम से चुनाव को जोड़ा गया।ईवीएम के आने से मतदातायों को वोट देने में काफी आसानी हुयी है, अब तो सिर्फ मतदान केंद्र में जाना है तो अपने पसंदीदा प्रतिनिधि के चुनाव चिन्ह वाले बटन को दबाना है, इससे प्रतिनिधियों की किस्मत का फैसला उस ईवीएम में कैद होती है।

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