Tuesday, 24 January 2017

जनता सब कुछ जानती है साहेब...

इलेक्शन का समय नजदीक आ गया है और हर तरफ चुनावी माहौल बना हुआ है ऐसे में हर राजनेता और राजनीतिक पार्टी आम लोगों से अपने लिए वोट मानती नजर आ रही है, हर बार की तरह जानता से वादें किये जा रहे है, विकास की लंबी लंबी घोषणाएं कर रहे है, नेताजी सोच रहे है कि जनता तो सिर्फ घोषणयों से ही बेहल जाती है, नहीं साहब..! अब जनता की बारी है हर चीज़ का हिसाब लेगी। पब्लिक को सब कुछ पता होता है कि कौन क्या करता है और क्या बोलता है। नेता लोग सिर्फ अपनी जेब भरने के लिए राजनीती में आते है लेकिन दिखाते ऐसे है कि वो सिर्फ जनता के लिए ही इस छेत्र में आये है।    
  विधानसभा चुनाव की डेटशीट आ गयी है, बात करे उत्तराखंड की तो यहाँ मतदान 15 फरबरी को होने है, यानि की 15 फरबरी को आम जनता एक एक झूठे वादे का हिसाब लेगी। लेकिन एक बात बहुत चुभती है कि क्या राजनीती में यही सब होता है, यानि की झूठे वादे, घोषणाएं और सीट के लिए उथल-पुथल , अरे साबह.. लोगों की आपसे बहुत उम्मीदें होती है कि आप उनके लिए दिन-रात काम करोगे, जहाँ तक विकास नहीं पहुँचा, वहां विकास लेकर आओगे लेकिन हर बार जनता को सिर्फ धोख़ा ही मिलता है क्योंकि जीतने के बाद तो नेता लोग आम पब्लिक को अपने आस-पास भी नहीं भटकने देते। मतलब की अपना काम बनते ही जनता को भूल जाना कोई इन नेतायों से सीखे, ये गुण हर किसी के पास नहीं होता ये सिर्फ नेताओं के पास होता है। कहीं-कहीं ये भी देखने को मिलता है कि नेता जी सिर्फ तभी चेहरा दिखाते है जब वोट माँगने के लिए आते है, उसके बाद तो कौन नेताजी?कहाँ है नेताजी? ये स्तिथि इस वक़्त हमारे ही देश में है जहाँ विकास नेताओं के भरोसे होता है और नेता सरकार भरोसे। अब सवाल उठता है कि अब पब्लिक क्या करे? सही बात ये है पब्लिक किसको चुने क्योंकि आज तो हर कोई इन्ही नेताओं की तरह है, जब अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता। चलिए एक बार फिर देखते है की इस बार जनता किसपे भरोसा करती है, वैसे ये तो वो भी जानते है कि उनके भरोसे पर उतरना किसी नेता के बसके नहीं है लेकिन अधिकार है वोट डालना तो डालना तो पड़ेगा ही।


Tuesday, 17 January 2017

वाह रे हिंदुस्तान,भूखा सोये जवान

पिछले कुछ दिनों से सोशल साइट्स पर बीएसएफ के जवान तेज बहादुर सिंहका वीडियो बड़ी तेजी से वायरल होता दिखा, उस वीडियो में बीएसएफ के जवान ने जवानों को मिल रहे खाने को लेकर कई सवाल खड़े किये है,वीडियोमें बाकायदा दिखाया गया कि सेना के जवानों को किस तरह का खाना दिया जाता है। एक तरफ भारतीय सरकार सेना के लिए तमाम काम करने के दावे करती है तो दूसरी तरफ इस जवान का दर्द भी बहुत सी सच्चाइयां बयां करती है।बीएसएफ जिसे बॉर्डर सिक्योरिटी फाॅर्स के नाम से भी जाना जाता है, भारत की पहली बॉर्डर फ़ोर्स है जो की 1964 में बनी थी, इस वक़्त बीएसएफ के पास ढाई लाख से ज्यादा जवान है जो दिन-रात हमारे देश की सुरक्षा करते है।
 बीएसएफ के जवान दक्षिण भारत से लेकर कश्मीर और कारगिल तक तैनात रहते है, बेहद संवेदनशील और दुर्गम परिस्थितियों में बीएसएफ के जवान दुश्मनों को मुह तोड़ जवाब देने के लिए खड़े रहते है,एक तरफ ये जवान इतनी मुश्किल भरी जिंदगी जीते है और बदले में उन्हें अच्छा खाना तक नसीब नहीं होता। ये हम सबके लिए बड़े शर्म की बात है,की आज एक जवान ने प्रधानमंत्री से दर्द भरी अपील की है कि उन्हें दो वक्त का अच्छा खाना भी नहीं मिलता, नाश्ते में एक परांठा मिलता है वो भी जला हुआ और दिन-रात में सिर्फ हल्दी वाली दाल। सुननेमें ही शर्मिंदगी महसूस होती है कि कैसा देश है हमारा,जो हमारे दुश्मनों की गोलियां तक झेलते है उनके लिए हमारा देश कुछ नहीं कर पा रहा। एक तरफ सरकार ने सेना के जवानों को नाईट डिवीजन डिवाइस दे रखा है, लेकिन जब बारी सुविधायों की आयी तो जवानों की अनदेखी की जाती है। आज उस जवान के एक वीडियो ने हर किसीको ये सोचने पर मजबूर कर दिया की जवानों के लिए करोड़ों रुपए आखिर जा कहाँ रहे? ताज्जुब की बात ये है कि ये कोई पहला घोटाला नहीं है इससे पहले भी मीट घोटाला,शराब घोटाला और अंडा घोटाले ने सेना और उच्च अधिकारियों पर सवाल खड़े किये है।वायरल होते वीडियो की सच्चाई क्या है ये तो छानबीन में पता चल जायेगा, लेकिन जवान के इस वीडियो ने देश की सच्चाई बयां की है। देश की सुरक्षा के लिए खड़े जवान किस हालात में जीने को मजबूर है ये एक बार फिर सामने आ चुका है।

Tuesday, 10 January 2017

मीडिया पर है बड़ी जिम्मेदारी

2017 का आगाज हो चूका है अब वक्त है चुनाव का, ऐसे में हर तरफ चुनावी माहौल दिखाई दे रहा है, सुबह अखबार से लेकर शाम तक टीवी में हम चुनाव से जुडी खबरें देख रहे है। जहाँ एक तरफ आम लोगो के पास अच्छी सरकार चुनने का सुनहरा मौका है तो वहीँ अब चौथे स्थम्ब के रूप में देखी जाने वाली मीडिया की भी जिम्मेदारी बहुत बड़ चुकी है क्योंकि चुनावी माहौल के बारे में हर अपडेट सिर्फ मीडिया ही लोगों तक पहुँचने का काम करती है ऐसे में मीडिया को अब लोगों तक सही और सटीक जानकारी पहुँचाने की जरूरत है।
        "मीडिया तो रोजाना ही आम लोगों के लिए काम करता है, देश-दुनिया में क्या चल रहा है सिर्फ मीडिया ही जानती है और लोगों तक पहुँचाती है, लेकिन बहुत बार देखा गया है कि कुछ डिज़ाइनर पत्रकार पूरी जानकारी नहीं देते या यूँ कहे की सही जानकारी भी छुपाने का काम करते है ऐसे में लोग गुमराह होते है। आम लोग वाही मानते है जो मीडिया उन्हें दिखती है या सुनाती है, इसका मतलब ये है कि मीडिया लोगों के लिए किसी सच्चाई से कम नहीं है, जो मीडिया दिखाये वही सब सच्चाई मानते है तो अब चुनाव के समय पर भी मीडिया को बिलकुल साफ़ और सही बात दिखने की जरूरत है। लोगों का काम है कि अपनी बुद्धि से सही उम्मीदवार को वोट देना इसके बाद तो काम शुरू होता है वो होता है मीडिया का, की सही बात को उजागर करें न की लोगों की सोच के साथ खेलें। बहुत लोगों को लगता है कि कुछ पत्रकार सिर्फ नेताओं के लिए काम करते है, उनका सोचना बिलकुल जाएज़ है क्योंकि हमारे देश में सबसे पहले पैसा है फिर कुछ और। लेकिन कुछ समय के लिए ही सही लेकिन ये वक़्त ऐसा है जब एक गलती की वजय से पूरा समाज और राज्य प्रभावित हो सकता है इसलिए इस समय आम लोगों से लेकर मीडिया तक सबको अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझने की जरूरत है। फरवरी-मार्च तक पाँचों राज्यों में चुनाव हो जायेंगे उसके बाद से मीडिया ही सारी जानकारी के बारे में दिखाएगी, लोग भी वही मानेंगे जो मीडिया दिखायेगी इसलिए मीडिया के कंधों पर अब जिम्मेदारी और बड़ चुकी है और उम्मीद की जा रही है कि हर कोई अपना काम ईमानदारी से करे।

Tuesday, 3 January 2017

वोट का करे सही इस्तमाल..



नए साल के बाद अब वक्त है इलेक्शन का, एक तरफ जनवरी में पारा बिलकुल नीचे है तो वहीँ राजनीती पारा गरमाया हुआ है क्योंकि ये समय है इलेक्शन का, अलग-अलग पार्टियों का। हम स्कूल से पढ़ते आये है कि वोट देना हमारा अधिकार है और इसका सही तरीके से इस्तमाल करना चाहिए वरना नुक्सान हमेसा आम लोगों का ही होगा, अब फिर से इलेक्शन आने वाले है, हमारे पास एक मौका आ गया है सरकार को बदलने का। अपने वोट का सही तरह से इस्तमाल करके हम काम करने वाली सरकार को विजय बना सकते है न की उन पार्टियों को जो सिर्फ सत्ता की सीट पर राजनीती की रोटियां सेखे।
        लेकिन हम अपने वोट का सही इस्तमाल कैसे करें? हमारे देश में एक चीज की बहुत चलती है वो है पैसा। पैसा है तो मान लो की सब कुछ है, इसी बात का फायदा उठाकर बहुत से राजनेता गरीब लोगों से वोट खरीद लेती है और सरकार बना देती है। हमे ये बात समझ लेनी चाहिए की एक-दो हजार रुपए के लिए हम अपने 5 साल बर्बाद न करे क्योंकि हमारे एक गलत वोट से हमारे साथ साथ देश का भी विनाश हो सकता है। एक पहलु ये भी है कि जिन लोगों के पास बिलकुल रुपए नहीं है उन्हें अगर कोई दो हजार रुपए देदे तो वो क्यों न ले? बात भी ठीक है। लेकिन जरा सोचिए कि अगर कोई गलत पार्टी जीत जाती है तो क्या वो आपको पूछेगी? आपके हित में काम करेगी शायद नहीं क्योंकि उन्हें तो अपना उल्लू सीधा करना है और उसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकती है, आप अपना वोट ऐसे लोगों के लिए बर्बाद न करे। यही सही समय है जरा सोचिए और सोच समझकर अपना वोट दीजिये, बहुत बात देखा गया है कि कुछ लोग वोट ही नहीं डालते, ये बेहद गलत बात है क्योंकि आप अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर रहे है, फिर बाद में आप लोग ही नेताओं के पुतले फूंकते है, उनके खिलाफ नारेबाज़ी करते है, ऐसा कुछ न करना पड़े इसके लिए आपको सही उम्मीदवार को वोट देना होगा न की उसे जो आपको खरीदना चाहता हो। याद रखिये देश का विकास सिर्फ तब होगा जब आप उसमे भागेदारी देंगे क्योंकि ये देश हमारा है हम सबका है।