Wednesday, 27 July 2016

पढ़ाई पूरी..पर कहाँ है नौकरी ?



एक जमाना था जब हाई स्कूल को उच्च शिक्षा समझा जाता था, जो 10वीं पास होते उन्हें अच्छी जॉब भी आसानी से मिल जाती थी । फिर समय आया जब ग्रेजुएशन के तुरंत बाद नौकरी मिलना आम बात हुआ करती थी लेकिन अब ऐसा समय आ चुका है की ग्रेजुएशन पूरा करने के बावजूद युवाओं को नौकरी नहीं मिल पा रही है। हर कोई सरकारी या उच्च प्राइवेट विभाग में घुसना चाहता है,चाहे उनके लिए कैसा भी रास्ता अपनाना पड़े। हालात कुछ ऐसे है की वो मुहावरा याद आ जाये " एक अनार सौ बीमार" क्योंकि जगह कम है और उन्हें भरने वाले बहुत  ज्यादा। अगर कोई विभाग 1 पोस्ट के लिए नौकरी निकलता है तो उस एक पोस्ट के लिए हजारों की संख्या में आवेदन पात्र जमा हो जाते है।जिस तरह बेरोजगारी एक बीमारी की तरह फ़ैल रही है उससे आने वाले सालों में हमारे देश में युवाओं की स्तिथि क्या होगी इस बात का अंदाज लगाया जा सकता है। लगातार बढ़ती जनसँख्या के चलते आज पढ़ाई पूरी करने के बावजूद भी नौकरी के लिए पापड़ बेलने पड़ते है, दिन रात काम की तलाश में इधर उधर भटकना पड़ रहे है।
        नौकरी की तालाश में बहुत से लोग अपने घर से दूर होने को मजबूर हो रहे है लेकिन हमारी सरकार और उसका सिस्टम दोनों को शयद इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता।आजकल हालात यूँ है कि इंजीनियरिंग करने के बावजूद युवाओं को किसी दुकान जैसे ऑफिस में 7-8 हजार की नौकरी करनी पद फाई है। सिर्फ 7-8 हजार ,अरे पूरी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने में घरवालो के 5-6 लाख रुपए लग जाते है और बदले में नौकरी मिलती है 7-8 हजार की, इतनी बढ़ती महँगाई में ये सैलरी मानो ऊँठ के मुँह में जीरा.. इसी के चलते हमे रोजाना खबरें भी देखने को मिलती है कि बेरोजगार युवाओं ने किया धरना प्रदर्शन । वो इसलिए क्योंकि जब इतनी महंगी पढ़ाई करने के बाद भी नौकरी नहीं तो पढ़ाई इतनी महंगी क्यों? फिर धरना के साथ सरकार से नौकरी की मांग। मांग भी किस से सरकार से? सचाई तो ये है की सरकार भी इसमें क्या करे वो तो अपने नेताओं को ही नहीं संभाल पा रही है वो इतने बेरोजगारों की जिंदगी क्या सभालेंगे। लेकिन सरकार से मदद मानते ही सरकार सबसे पहले आस्वासन देती है फिर 2-3 घोसनाएं करती है, उसके कुछ समय बाद वो घोसनाएं एक कोल्ड कॉफी की तरह ठंडी हो जाती है। 

     हमारे देश का सिस्टम ही अलग है। माननीय मोदी जी कहते है सब पड़ेंगे तभी भारत आगे बढेगा। मगर हालात ऐसे ही रहे तो कैसे भारत का विकास होगा। सुस्त सिस्टम, ढीली सरकार और उसके ऊपर आरक्षण नाम का बम । देश को आगे लेकर जाने के लिए हर किसीका विकास होना जरूरी है, सिर्फ नयी स्कीम, प्रोजेक्ट और सिस्टम से कुछ नहीं होगा। हमारे देश में युवाओं की संख्या करोड़ों है, सरकार को इनके उज्जवल भविष्य के लिए कुछ न कुछ ठोस कदम उठाने की जरुरत है।

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