Wednesday, 27 July 2016

इम्तहां हो गयी इंतजार की...

आज से 80-90 साल पहले अंग्रेजों द्वारा पहाड़ों को रेल सुविधा से जोड़ने की बात कही गयी थी, मगर इतने सालों के इंतजार के बाद भी आज तक ये काम महज फ़ाइलों में ही सिमटा हुआ है। इतने साल बीत गए, इतनी सरकारें आके चली गयी मगर उत्तराखंड के पहाड़ों पर रेलगाड़ी का सपना आज भी सपना ही है। चाय की ठेल्ली लगाने वाले से लेकर सरकार के सबसे बड़े अधिकारी तक सब इस बात को भलीभांति जानते है की पहाड़ों पर रेल सुविधा का आना हर तरह से राज्य के आर्थिक, और पर्यटन के लिए कितना लाभदायक है, लेकिन सुस्त सिस्टम के चलते पहाड़ अभी तक रेल सुविधा से अछूते है। बात करे अगर उत्तराखंड की तो ऋषिकेश से कर्णप्रयाग और टनकपुर से बागेश्वर तक का रेल सुविधा का काम शुरू होने का नाम ही नहीं ले रहा है। अगर उत्तराखंड को ये रेल सुविधा मिल जाये तो यहाँ की आर्थिक वयवस्था से लेकर पर्यटन कारोबार तक सब में चार चाँद लग सकता है। उत्तराखंड में हर साल करोड़ों पर्यटक पहाड़ों की तरफ आते है क्योंकि यहाँ की खूबसूरती किसी से छुपी नहीं है ऐसे में पर्यटकों को रोड से आना पड़ता है, जिसमे हादसे होने का डर भी रहता है, क्योंकि मानसून के समय में पहाड़ों की हालात बद से बदतर हो जाती है और सड़को का तो क्या कहना। ऐसे में रेल सुविधा होने से पर्यटक पहाड़ों की खूबसूरती का अच्छे से दीदार कर सकेंगे, आखिर उन्हें भी अपने पूरे पैसे वसूल करने होते है। उत्तराखंड सिर्फ खूबसूरत पहाड़ों से भरा नहीं है, इसके साथ साथ यहाँ का शांत वातावरण, प्राकृतिक सौंदर्य हमेशा से ही पर्यटकों को भाता है यही कारण है की यहाँ पयर्टकों के आने का सिलसला सालभर लगा रहता है। रेल सुविधा आजाने से यहाँ पर्यटकों की संख्या में इजाफ़ा तो होगा ही साथ ही यहाँ के लोगों को आर्थिक मदद भी मिलेगी।एक तो वैसे ही सरकार पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने में असमर्थ साबित होती आ रही है, ऊपर से पहाड़ों पे रेल सुविधा का ना होना पलायन को एक तरह से बढ़ावा दे रहा है, क्योंकि रेल सुविधा के आने से पहाड़ों में रेह रहे लाखों युवाओं को रोजगार भी मिल सकता है। उत्तराखंड के पहाड़ भले ही उद्योग के छेत्र में पिछड़े हो लेकिन ये वन संपदा, प्राकृतिक दौलत और औषधीय वनस्पतियों से भरपूर  हैं। अगर इन सभी वस्तुओं का सही तरीके से दोहन किया जाये तो उत्तराखंड, भारत के सबसे विकसित प्रदेशों में अपना नाम दर्ज करा सकता है। इसलिए पहाड़ों तक रेल सुविधा उत्तराखंड के लिए कारीगर साबित हो सकती है।
                 पहाड़ों को रैल सुविधा देना एक ऐसा सपना था जो अंग्रेजों ने पहाड़ को लगभग 100 साल पहले दिखाया था। पहाड़ों को भी लगा था की अब शायद हमारे अच्छे दिन आएंगे, मगर सरकार और अधिकारीयों की लापरवाही के चलते उत्तराखंड के पहाड़ आज तक रेल सुविधा का बस इंतजार करने को मजबूर है । अब तो पहाड़ भी थक कर बोल रहे है", इम्तहां हो गयी इन्तजार की.......

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